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जमुई : रिश्वत लेने के आरोप में डीएम ने डाटा ऑपरेटर को पकड़ा, आरोपी के पास मिले पांच हजार रुपये - Jamui DM - JAMUI DM

data operator arrest जमुई के बरहट प्रखंड में जिलाधिकारी राकेश कुमार ने औचक निरीक्षण किया. यहां उन्होंने रिश्वत लेने के आरोप में विस्वान के डाटा ऑपरेटर को पकड़ा. जांच के दौरान उसके पॉकेट से पांच हजार रुपये बरामद किये गये. डीएम ने बताया कि अवैध वसूली किये जाने की शिकायत मिल रही थी, जिसके बाद वह औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे. पढ़ें, विस्तार से.

औचक निरीक्षण करते जिलाधिकारी.
औचक निरीक्षण करते जिलाधिकारी. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 29, 2024, 10:02 PM IST

जमुई:बिहार के जमुई में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने या फिर आधार कार्ड में सुधार करवाने में रिश्वत ली जा रही थी. सोमवार को जिलाधिकारी राकेश कुमार ने रिश्वत लेने के आरोप में विस्वान के डाटा ऑपरेटर को पकड़ा. जांच के दौरान उसके पॉकेट से पांच हजार रुपये बरामद किये गये. जिसके बाद डीएम ने बरहट बीडीओ को प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिया. डीएम ने कहा कि दाखिल खारिज आदि के कार्य में भी संतोषजनक काम नहीं हो रहा है. लोगों से शिकायतें मिल रही है. इसकी भी जांच करायी जाएगी.

समस्या सुनते जिलाधिकारी. (ETV Bharat)

"हम औचक निरीक्षण में पहुंचे थे तो एक ग्रामीण ने शिकायत की कि उससे 700 रुपया लिया गया. हमने तत्काल उक्त कर्मी का पॉकेट सर्च करवाया तो उसके पॉकेट से 5,000 रुपया कैश निकला. राशि पाया जाना रिश्वतखोरी का प्रमाण है. कार्रवाई के आदेश दिये गये हैं."- राकेश कुमार, जमुई जिलाधिकारी

समस्या सुनते जिलाधिकारी. (ETV Bharat)

क्या है मामलाः जमुई जिले के बरहट प्रखंड का मामला है. जिलाधिकारी को जन्म प्रमाण पत्र और अन्य काम के बदले रुपये वसूली किये जाने की शिकायत मिल रही थी. लोग फोन पर जिलाधिकारी राकेश कुमार के लगातार शिकायत दर्ज करा रहे थे. जिसके बाद डीएम राकेश कुमार ने सोमवार को औचक निरीक्षण करने बरहट प्रखंड कार्यालय पहुंचे. विस्वान के एक कर्मी को पकड़ा गया.
कैसे पकड़ा गयाः जमुई जिलाधिकारी राकेश कुमार से निवास कुमार नामक एक युवक ने शिकायत की थी कि जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड सुधरवाने के लिऐ 1500 रुपया मांगा जा रहा है. वहीं एक अन्य युवक ने काम के बदले 700 रुपया मांगने की शिकायत की. विस्वान के डाटा ऑपरेटर संतोष यादव के द्वारा पैसा वसूला जा रहा था. डीएम ने शिकायत मिलने के बाद डाटा ऑपरेटर के पॉकेट की जांच करवायी. पांच हजार रुपये मिले.

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