दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

संशोधन कर वक्फ एक्ट को किया जा रहा कमजोर, बोले- जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव - waqf amendment bill 2024

वक्फ एक्ट में संशोधन के मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव नियाज अहमद फारूकी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इस संशोधन के जरिए सरकार मुस्लिम वक्फ की ताकत को छीनने का प्रायस कर रही है. एक्ट के संशोधन में बहुत सी बुनियादी गलती है.

delhi news
वक्फ एक्ट में संशोधन पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 8, 2024, 7:06 PM IST

वक्फ एक्ट में संशोधन पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद (ETV Bharat)

नई दिल्ली: वक्फ एक्ट में संशोधन को लेकर तमाम मुस्लिम संगठन विरोध जता रहे हैं. इस पर ETV Bharat ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव नियाज अहमद फारूकी से बात की. उन्होंने कहा कि इस संशोधन के जरिए सरकार मुस्लिम वक्फ की ताकत को छीनने का प्रायस कर रही है. एक्ट के संशोधन में बहुत सी बुनियादी गलती हैं. जिस मुकदमे में आप खुद पार्टी हो उसका फैसला किसी थर्ड पार्टी द्वारा होना चाहिए, लेकिन इस संशोधन के जरिए कलेक्टर को पावर दे दी जाएगी. इसके साथ वक्फ बोर्ड का केस चल रहे हैं. ऐसे में निर्णय वक्फ बोर्ड के पक्ष में कैसे आएगा. दिल्ली में 123 प्रापर्टी ऐसी हैं, जिनका झगड़ा चल रहा है. ये संपत्ति सरकार के कब्जे में है. इसका फैसला कलेक्टर साहब करेंगे. आप ही पार्टी हैं और आप ही फैसला करेंगे.

उन्होंने कहा कि दिल्ली में वक्फ बोर्ड के पास दो तरह की प्रापर्टी हैं. एक वो प्रापर्टी है, जिसमें मस्जिद, दरगाह, कब्रिस्तान आदि हैं. लेकिन बहुत सी ऐसी प्रापर्टी है जो सरकार के कब्जे में हैं. कुछ पर प्राइवेट ऑफिस बने हैं. वक्फ की प्रापर्टी का दुरुपयोग हो रहा है. इसका सही मैनेजमेंट नहीं हो रहा है. इस संशोधन के जरिए कम्यूनिटी की पावर को कम किया जा रहा है.

वक्फ एक्ट में एक संशोधन ये भी है कि अब इस कमेटी में महिलाएं भी होंगी. इस पर नियाज अहमद फारुकी ने कहा कि बात महिलाओं की नहीं है. महिलाएं हमारे देश में प्रधानमंत्री तक रही हैं. संशोधन में यह हो रहा है कि कम से कम पांच साल का प्रैक्टिसिंग मुस्लिम ही वक्फ कर सकता है. यानी बोर्ड को दान कर सकता है. एक या दो साल का प्रैक्टिसिंग मुसलमान वक्फ क्यों नहीं कर सकता है.

उन्होंने कहा कि इस्लाम में यह नियम है कि कोई भी मरते वक्त भी कलमा पढ़ ले तो वह मुसलमान है. अगर किसी को मरते वक्त लगता है कि हमें अपनी प्रापर्टी किसी अच्छे काम के लिए दान कर देनी चाहिए तो इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन पांच साल का प्रैक्टिसिंग मुसलमान होने के बाद ही वह अपनी प्रापर्टी वक्फ कर सकता है, यह गलत है.

ये भी पढ़ें:वक्फ बोर्ड की जमीनों पर कब्जा करने के लिए एक्ट में संशोधन करना चाहती है सरकार: जमीयत उलेमा-ए-हिंद

ये भी पढ़ें:वक्फ अधिनियम में संशोधन बिल: लागू हुआ तो कितनी घटेगी बोर्ड की ताकत, जानें दिल्ली की संपत्ति

ABOUT THE AUTHOR

...view details