राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

भांकरोटा अग्निकांड: मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बना एसएमएस का स्किन बैंक, नई स्किन लगाई - JAIPUR GAS TANKER BLAST

भांकरोटा अग्निकांड में झुलसे मरीजों को एसएमएस अस्पताल के स्किन बैंक से त्वचा लेकर लगाई गई है. इससे उनके बचने की उम्मीद बढ़ी है.

Jaipur Gas Tanker Blast
जयपुर के एसएमएस का स्किन बैंक (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 9 hours ago

जयपुर:भांकरोटा में एलपीजी गैस टैंकर में विस्फोट के बाद हुए अग्निकांड में झुलसे मरीजों को बचाने में सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सक जी जान से जुटे हुए हैं. अस्पताल का स्किन बैंक उम्मीद की नई किरण बनकर उभरा है. अस्पताल में अभी भी घायलों का इलाज चल रहा है और स्किन बैंक से स्किन लेकर दो मरीज़ों की झुलसी त्वचा हटाकर नई त्वचा लगाई गई है. चिकित्सकों को उम्मीद है कि स्किन ट्रांसप्लांट के बाद कुछ मरीजों का जीवन बचाया जा सकता है.

इधर, अस्पताल लाखों रुपए की दवाई, इंजेक्शन और कॉलेजन शीट मरीजों को लगाई जा रही है ताकि मरीज़ों का दर्द कम किया जा सके और उनकी जान बचाई जा सके. साथ ही इंफेक्शन से बचाने के लिए हैवी एंटीबायोटिक दवाएं मरीजों को दी जा रही है. सवाई मानसिंह अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड डॉ. आर के जैन ने बताया कि 23 मरीजों का इलाज अभी भी SMS अस्पताल में चल रहा है, जबकि 3 मरीज अभी भी वेंटिलेटर पर जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं.

एसएमएस का स्किन बैंक (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें: भांकरोटा अग्निकांड : हादसे में घायलों की मदद करने वालों को दिया जाएगा पुरस्कार

दो डीप बर्न मरीजों की स्किन बदली: डॉक्टर जैन ने बताया कि तीन मरीज वेंटिलेटर पर है और कुछ मरीजों की स्थिति ठीक नहीं है. उनका कहना था कि अधिकतर मरीज डीप बर्न (गहरे तक जले हुए) हैं. इस कारण वे गंभीर अवस्था में हैं. ऐसे ही दो मरीजों विजेंद्र और लालाराम का स्किन ट्रांसप्लांट किया गया. ये मरीज तकरीबन 60 फीसदी से अधिक जल गए थे. इसमें विजेंद्र के हाथ और लालाराम के चेहरे का स्किन ट्रांसप्लांट किया गया है.

स्किन ट्रांसप्लांट से बचने की उम्मीद:डॉक्टर जैन का कहना है कि ट्रांसप्लांट के बाद मरीज के बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है. फिलहाल जिन मरीजों की स्किन ट्रांसप्लांट की गई थी, उनके खुद के शरीर पर स्किन नहीं थी. ऐसे में स्किन बैंक से स्किन लेकर ट्रांसप्लांट किया गया. इसके बाद मरीज के शरीर से प्रोटीन लॉस काफी कम हो जाता है. शरीर का तापमान कम और इंफेक्शन का खतरा काफी कम हो जाता है. इसके साथ ही मरीज़ का दर्द भी कम होता है और वह शरीर को हिला डुला सकता है.

मरीजों को लग रही महंगी दवाएं: उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से झुलसे मरीज़ों को इंफेक्शन से बचाने के लिए कॉलेजन शीट का उपयोग किया जा रहा है. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए पेंटाग्लोबिन इंजेक्शन भी मरीजों को लगाए जा रहे हैं. यह एडवांस ट्रीटमेंट है. पेंटाग्लोबिन इंजेक्शन के एक इंजेक्शन की कीमत तकरीबन 10 हजार रुपए है और यह इंजेक्शन मरीज के वजन के अनुसार लगाया जाता है. इसके अलावा एडवांस ड्रेसिंग के लिए मेफिलेक्स का उपयोग किया जा रहा है. इसमें नरम स्पंजी ग्रे फोम पैड होता है, जिसके अंदर चांदी होती है. फोम ड्रेसिंग घाव को ढाल देती है और चांदी बैक्टीरिया को मारने में मदद करती है.

यह भी पढ़ें: भांकरोटा अग्निकांड अपडेट : रिटायर्ड IAS करणी सिंह की मौत, बेटियों के DNA से हुई पुष्टि

संक्रमण फैलने से होती है मौत:डॉ जैन का कहना था कि कई बार हादसों के दौरान मरीज का शरीर 40 से 50 फीसदी तक झुलस जाता है. ऐसे में मरीज के शरीर से प्रोटीन लॉस और इलेक्ट्रोलाइट फ्लूड की कमी होने लगती है. इस लॉस के बाद धीरे धीरे मरीज के शरीर में संक्रमण फैलना शुरू होता है और इस संक्रमण के कारण अधिकतर मरीजों की जान चली जाती है.

ब्रैनडेड मरीज से ली जाती है त्वचा:डॉक्टर जैन ने बताया कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट के माध्यम से कई मरीजों की जान बचाई जाती है. ये ऑर्गन आमतौर पर ब्रैनडेड मरीज से लिए जाते हैं. इसी तरह अब ब्रैनडेड मरीज की स्किन भी उपयोग में लाई जा रही है और स्किन बैंक के माध्यम से त्वचा को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इस प्रोसेस में ब्रैनडेड मरीज के हाथ और पैरों से स्किन ली जाती है. मरीज की सामान्य मौत के बाद यदि 6 घंटे के अंदर शरीर से त्वचा उतार ली जाए तो यह जरूरतमंद मरीजों के काम में आ सकती है.

उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक एसएमएस में: क़रीब दो साल पहले जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के सुपर स्पेशलिटी सेंटर में उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक बनकर तैयार हुआ था. खास बात ये है कि स्किन बैंक में करीब -20 से -70 डिग्री तक स्किन को 3 से 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है. अब तक इस स्किन बैंक में 30 ब्रैनडेड मरीज़ों से स्किन ली जा चुकी है और 17 मरीजों को स्किन ट्रांसप्लांट किया जा चुका है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details