जयपुर: प्रदेश के अधिकतर सरकारी मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट्स चिकित्सक हड़ताल पर हैं. हड़ताल तब की जा रही है जब डेंगू जैसी बीमारी ने राजस्थान में हाहाकार मचाया हुआ है. इसी समय सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के रेजिडेंट्स डॉक्टर अपनी जिद पर आमादा होते हुए पूरी तरह हड़ताल पर चले गए हैं. रेजिडेंट्स चिकित्सा सुरक्षा और स्टाइपेंड बढ़ाने जैसी अन्य मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं.
हड़ताल के चलते प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल में भी हालात धीरे-धीरे बिगड़ रहे हैं. हालांकि, मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि हड़ताल के चलते वैकल्पिक इंतजाम किए गए हैं और अतिरिक्त चिकित्सा लगाए गए हैं. पिछले 10 महीनों में राजस्थान में पांचवीं बार है, जब रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की है. जिससे मरीजों का इलाज बाधित होता है और एसएमएस जैसे बड़े अस्पताल में मरीजों के ऑपरेशन टल रहे हैं. पिछले दो सप्ताह से राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में रेजिडेंट्स डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. SMS मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल का कहना है कि रेजिडेंट्स की हड़ताल गलत है, लेकिन अस्पताल में सीनियर डॉक्टर्स को जिम्मेदारी देकर वैकल्पिक इंतजाम किए गए हैं, लेकिन मरीजों के करीब 30 से 40 फीसदी ऑपरेशन टाले जा रहे हैं.
डॉ. दीपक माहेश्वरी (SMS Hospital) स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग : राजस्थान में रेजिडेंट डॉक्टरों को हर महीने 80,000 से 90,000 रुपये तक का स्टाइपेंड मिलता है, जो कि कई सहायक आचार्यों की तनख्वाह से भी अधिक है. हालांकि, यह समझना जरूरी है कि स्टाइपेंड वेतन नहीं है. यह राशि उन्हें सीखने और प्रशिक्षण के लिए दी जाती है, न कि सरकारी नौकरी के रूप में. महाराष्ट्र के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सुपरस्पेशियलिटी DM/MCH पोस्ट-पीजी रेजिडेंट्स को केवल 60,000 रुपये का स्टाइपेंड मिलता है, जो कि अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है. जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी राजस्थान में अधिक स्टाइपेंड दिए जा रहा है.
इतना ही नहीं, मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से अन्य सुविधाएं भी रेजिडेंट चिकित्सकों को दी जा रही हैं. हड़ताल खत्म करने के लिए 17 अक्टूबर को रेजिडेंट्स डॉक्टर्स का एक प्रतिनिधिमंडल स्वास्थ्य मंत्री से वार्ता के लिए गया था. वार्ता में विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, लेकिन बातचीत के बाद भी कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया. मामले को लेकर चिकित्सा मंत्री ने कहा था कि हमारी वार्ता चिकित्सकों के साथ हुई है और हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा.
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50 अतिरिक्त चिकित्सक लगाए : हड़ताल की स्थिति को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने अतिरिक्त चिकित्सक सवाई मानसिक अस्पताल में लगाए गए हैं और इसे लेकर आदेश जारी हो गए हैं. हालांकि, एसएमएस अस्पताल में मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से वरिष्ठ चिकित्सकों के अलावा सीनियर रेजिडेंट को लगाया गया है. इसी बीच एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन विभाग की ओर से एक लेटर मेडिकल कॉलेज प्रशासन को लिखा गया है और हड़ताल कर रहे चिकित्सकों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने की मांग की गई है.
ये हैं प्रमुख मांगें :
- पूर्व में हुए समझौते के अनुसार सभी मेडिकल कॉलेज सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता कराई जाए.
- समय पर स्टायपेंड में वृद्धि और इंक्रीमेंट.
- बॉन्ड पॉलिसी में चेंज किया जाए.
- सभी रेजिडेंट चिकित्सकों को एचआरए मिलना चाहिए जो हॉस्टल में नहीं रहता.
- विशेष मेडिकल ऑफिसर पदों की भर्ती निकली जाए.
- जिन डिपार्टमेंट में पीजी होती हैं उन सभी डिपार्टमेंट में जेएस/एसएस पदों का सृजन हो.
- अकादमिक और गैर-अकादमिक एसआर की तनख्वाह में विसंगति दूर हो. (वर्तमान में अकादमिक एसआर की तनख्वाह गैर-अकादमिक एसआर से कम हैं).
- राजस्थान सरकार के इन-सर्विस डॉक्टरों के लिए सुपर-स्पेशलाइजेशन के बाद, उनकी वेतन वृद्धि और पदोन्नति उसी तरह से हो, जैसे पीजी पासआउट डॉक्टरों की होती है.