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24 गांवों को रहता है इस शख्स का इंतजार, बेरोजगारों के लिए अनूठी मिसाल है पवन की 'शॉप ऑन व्हील्स' - Unemployed started Shop on wheels - UNEMPLOYED STARTED SHOP ON WHEELS

शुरुआत में लोग पवन का मजाक बनाते थे कि इस तरह से पूरी किराना दुकान गाड़ी में लेकर चलना ठीक नहीं है. लेकिन अब 24 गांवों को पवन के आने का इंतजार रहता है कि कब वह आएं और कब लोगों को घर बैठे किराना का सामान मिल जाए.

UNEMPLOYED STARTED SHOP ON WHEELS
बेरोजगारों के लिए अनूठी मिसाल है पवन की शॉप

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 14, 2024, 8:42 AM IST

बेरोजगारों के लिए अनूठी मिसाल है पवन की शॉप

जबलपुर.जबलपुर के ग्रामीण इलाके पडवार के रहने वाले पवन साहू बेरोजगारों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं. रोजगार न होने का बहाने लेकर पवन कभी घर नहीं बैठे बल्कि खुद का रोजगार स्थापित करने के लिए कुछ ऐसा किया कि कई लोग अब उनसे सीख ले रहे हैं. पवन ने खुद की एक चलती-फिरती किराना दुकान शुरू की और आज वे एक सफल व्यापारी हैं. वे न केवल खुद पैसा कमा रहे हैं बल्कि उनके इस कारोबार की वजह से ग्रामीणों को भी काफी मदद मिल गई है.

ऐसे शुरू हुआ चलता फिरता किराना स्टोर

जबलपुर के बरेला के पास पडवार नाम के गांव में पवन साहू नाम के एक व्यापारी रहते हैं. पवन केवल नौवीं तक की पढ़ाई कर पाए थे. उनके घर में एक छोटी किराना दुकान थी लेकिन कोरोना काल जब आया तब ये दुकान भी बंद हो गई और पवन साहू बेरोजगार हो गए. पवन ने केवल नौवीं तक की पढ़ाई की थी ऐसे में कोई नौकरी मिलने की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी . घर में कोई दूसरा काम नहीं था लिहाजा पवन ने थोड़ी सी पूंजी जुटा कर एक पुराना पिकअप वाहन खरीदा और इस पिकअप वाहन में पूरी किराने की दुकान सजाई. इसके बाद उन्होंने जो किया वो मिसाल बन गई.

दो दर्जनों से ज्यादा गांवों में व्यापार

पवन साहू बताते हैं कि उन्होंने पिकअप वाहन में किराना सजाकर आदिवासी गांवों में जाना शुरू किया. शुरुआत में लोगों ने उनका मजाक भी बनाया कि इस तरह से पूरी किराना दुकान लेकर चलना कहां तक ठीक है, लेकिन उन्हें अंदाज था कि उनका यह काम चल निकलेगा और लोग धीरे-धीरे उनकी इस चलती-फिरती दुकान से सामान जरूर खरीदेंगे. सिलसिला चल निकला और अब पवन साहू की इस चलती फिरती किराना दुकान का आसपास के दो दर्जन से ज्यादा गांव में लोगों को इंतजार रहता है. पवन सप्ताह में दो दिनों के लिए फेरी लगते हैं और आसपास के गांव के लोगों की जरूरत का सामान उन तक पहुंचाते हैं. पवन का कहना है कि उन्हें किसी से कोई सरकारी मदद नहीं ली है और अपने दम पर इस कारोबार को शुरू किया है.

लोगों को व्यापार भी दे रहे पवन

पवन अपनी इस दुकान के माध्यम से न केवल आदिवासी इलाकों में किराने का सामान बेचते हैं बल्कि आदिवासियों के उत्पाद खरीदते भी हैं. इन आदिवासी क्षेत्रों में पौधों, अलसी, धान, गेहूं जैसे उत्पाद होते हैं. आदिवासियों के पास नगद पैसा नहीं होता, तो वह इन उत्पादों को पवन को बेच देते हैं और पवन से बदले में किराना ले लेते हैं.

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गांव वालों को मिली है सहूलियत

नवगवा गांव की बंती बाई ने कहा, ' पवन की इस दुकान से अच्छा फायदा हो जाता है. पहले हर छोटे-बड़े सामान के लिए शहर जाना पड़ता था और आने-जाने में किराया और समय दोनों ही बर्बाद होते थे. इस समय मैं मजदूरी करके दो पैसे पैदा भी कर लेती हूं और घर बैठे सामान भी मिल जाता है'

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