जबलपुर।आदिवासियों में टीबी के मामले में मध्य प्रदेश भारत में दूसरे स्थान पर है. जबलपुर आदिवासी बाहुल्य इलाका है. यहां आदिवासियों में बड़े पैमाने पर टीबी के मरीज पाए जाते हैं. इसलिए जबलपुर में स्कूल आफ पलमोनरी मेडिसिन के नाम से एक संस्थान खोला गया. इसमें केवल टीबी के मरीजों को और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के मरीजों को इलाज दिया जाता है. यहां पर विश्व स्तर की सुविधाएं हैं. इनमें फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के डॉक्टरों की पढ़ाई होती है और गंभीर मरीजों को इलाज के जरिए ठीक करने की कोशिश की जाती है लेकिन यहां के चार सीनियर डॉक्टर बिना बताए बीते 15 दिनों से गायब हैं.
व्यवस्थाएं बिगड़ी, मरीज परेशान
पलमोनरी मेडिसिन सेंटर के हेड ऑफ़ द डिपार्टमेंट डॉ. जितेंद्र भार्गव ने बताया कि इस संस्थान के चार डॉक्टर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद बीते 15 दिनों से बिना किसी जानकारी के गायब हैं. छात्रों की मदद से अस्पताल में सभी मरीज को इलाज मुहैया करवाया जा रहा है लेकिन अचानक से चार सीनियर डॉक्टरों का गायब होने से व्यवस्थाएं थोड़ी तो बिगड़ी हैं. ये डॉक्टर काम पर वापस आना भी नहीं चाहते. दरअसल, स्कूल का पलमोनरी मेडिसिन सेंटर के साथ मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का सौतेला व्यवहार रहा है.
मेडिकल कॉलेज की डीन पर आरोप
मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. गीता गुईन पलमोनरी मेडिसिन अस्पताल की व्यवस्थाओं के साथ खेल खेल रही हैं और इस स्वास्थ्य संस्था को उन्होंने मेडिकल कॉलेज का हिस्सा मानकर इसके प्रबंधन में दखल दिया. इसकी वजह से डॉक्टर जितेंद्र भार्गव को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का सहारा लेना पड़ा. हाई कोर्ट ने डॉ. जितेंद्र भार्गव के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें इस पद पर रहने का अधिकार दिया. इस आदेश के बाद विभाग के चार डॉक्टर बिना बताए गायब हो गए.