जबलपुर : कनिष्ठों को पदोन्नति मिलने के सात साल बाद जबलपुर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. याचिका में राहत चाही गई थी कि कनिष्ठों की पदोन्नति निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को प्रदान की जाए. इसपर हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि याचिका स्पष्ट रूप से देरी और लापरवाही से ग्रस्त है. याचिका पर विचार करना तय स्थिति को अस्थिर करने के बराबर होगा.
क्या है प्रमोशन देने का मामला?
दरअसल, मप्र पुलिस हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड में पदस्थ जितेन्द्र कुमार पांडे ने याचिका दायर की. याचिका में कहा गया था कि वह साल 1984 में उप अभियंता के पद पर पदस्थ हुए थे. इसके बाद उन्हें परियोजना अधीक्षण के पद पर पदोन्नति प्रदान की गई थी. विभाग द्वारा साल 2014 व 2025 में अधीक्षण यंत्री के लिए विभागीय डीपीसी कार्यवाही गई थी. डीपीसी में उनसे कनिष्ठ जेपी पस्तोरे व किशन विधानी को उक्त पद पर प्रमोशन दे दिया गया. डीपीसी में पिछले पांच सालों की एसीआर के साथ 13 अंक बेंचमार्क के रूप में थे. विभागीय स्तर पर उन्हें बताया गया कि डीपीसी में उन्हें 12 अंक और दोनों चयनित व्यक्तियों को 15 व 17 अंक मिले थे.