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"मेरे पिता को रिहा करें, गलत तथ्यों के आधार पर जमानत निरस्त की", एमपी हाईकोर्ट में एक बेटी की गुहार - MP High Court

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक बेटी ने याचिका दायर कर अपने पिता को रिहा करने की गुहार लगाई है. बेटी का कहना है कि उसके पिता की जमानत गलत तथ्यों के आधार पर निरस्त की गई है.

MP High Court
गलत तथ्यों के आधार जमानत निरस्त करने का दावा (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 30, 2024, 12:44 PM IST

Updated : Aug 30, 2024, 12:53 PM IST

जबलपुर।मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर एक बेटी ने अपने पिता की रिहाई की मांग की है. उसका आरोप है कि पिता की जमानत अर्जी गलत तथ्यों के आधार पर निरस्त कर दी गई है. उसके पिता को अवैध तरीके से जेल में बंद रखा गया है. इसलिए रिहाई का आदेश पारित किया जाए. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं. मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित की गई है.

मामला निवेशकों से हुई धोखाधड़ी का

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता के पिता जिबराखन साहू सुविधा लैंड डेवलेपर प्राइवेट लिमिटेड में प्रमोटर थे. इस कंपनी ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की. याचिकाकर्ता के पिता ने छले गए निवेशकों के साथ शिकायत की. इसके बावजूद उन्हें कंपनी के 6 डायेरक्टर में से एक निरूपित कर 2021 में आरोपी बना लिया गया. इस वजह से वह जेल में बंद हैं. पिता के जेल में बंद होने से याचिकाकर्ता पुत्री सहित परिवार के अन्य सदस्य परेशान हैं.

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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का आधार बताया

याचिका में कहा गया है कि उसके पिता जेल में होने के कारण परिवार का भरण-पोषण का मुख्य आधार ही छिन गया है. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के याचिकाकर्ता से पूछा कि नियमानुसार अपील निरस्त होने पर ऊपर वाली कोर्ट में नए सिरे से जमानत अर्जी के जरिए अपील का प्रावधान है. क्या आपने ऐसा किया है. इस पर अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने दलील दी कि नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि याचिकाकर्ता के पिता को गलत तरीके से जेल में बंद रखा गया है. इसलिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का आधार बनता है.

Last Updated : Aug 30, 2024, 12:53 PM IST

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