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पात्र नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई फिर से करे जांच, एमपी हाईकोर्ट का बड़ा आदेश - High Court Order Nursing Colleges

हाईकोर्ट ने अहम आदेश देते हुए कहा कि जांच में पात्र पाए गये 169 कॉलेजों की फिर से जांच होगी. हाईकोर्ट ने ये आदेश सीबीआई को जारी किये हैं. युगलपीठ ने सीबीआई को निर्देशित किया है कि कॉलेज की जांच न्यायिक दंडाधिकारी की उपस्थिति में की जाये और पूरी जांच की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाई जाये.

HIGH COURT ORDER NURSING COLLEGES
पात्र नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई फिर से करे जांच (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 28, 2024, 9:45 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस ए के पालीवाल की युगलपीठ ने जांच में पात्र पाये गये 169 कॉलेजों की पुनः जांच के निर्देश सीबीआई को जारी किये हैं. युगलपीठ ने सीबीआई को निर्देशित किया है कि कॉलेज की जांच न्यायिक दंडाधिकारी की उपस्थिति में की जाये. पूरी जांच की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाई जाये. इस दौरान कॉलेज के संचालक और प्राचार्य भी अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेंगे. याचिका पर अगली सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की गई है.

लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने दायर की है याचिका

लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश में संचालित 364 नर्सिंग कॉलेजों में से 56 कॉलेज की जांच पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश जारी किये हैं. सीबीआई के द्वारा 308 नर्सिंग कॉलेजों की जांच की गयी थी जिसमें से 169 कॉलेज पात्र पाए गये थे. जांच में 74 कॉलेज ऐसे हैं जिसमें सुधार किया जा सकता है और 65 कॉलेज अपात्र हैं.

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'सीबीआई की जांच रिपोर्ट भरोसेमंद नहीं'

याचिकाकर्ता की तरफ से हाईकोर्ट में पेश किये गये आवेदन में कहा गया था कि सीबीआई की तरफ से पेश की गयी जांच रिपोर्ट पर विश्वास करते हुए नर्सिंग कॉलेजों के संचालन तथा छात्रों को परीक्षा में शामिल किये जाने के संबंध में हाईकोर्ट ने पूर्व में विस्तृत आदेश जारी किये थे. वर्तमान परिस्थिति में यह बात सामने आई है कि सीबीआई की पूरी जांच रिपोर्ट भरोसेमंद नहीं है. सीबीआई के जो अधिकारी नर्सिंग कॉलेजों की जांच का हिस्सा थे,उन पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप है. दिल्ली सीबीआई ने उनके खिलाफ एफआईआर कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. आवेदन के साथ सीबीआई दिल्ली द्वारा दर्ज एफआईआर की प्रति भी पेश की गई. आवेदन में कहा गया था कि ऐसी स्थिति में सीबीआई की जांच रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद दोबारा जांच के आदेश पारित किये. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की.

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