जबलपुर: जबलपुरहाईकोर्ट ने यह कहते हुए गैंग रेप के आरोपियों को दोषमुक्त करार दे दिया कि अनुमान व संयोग के आधार पर दोष सिद्धि को बरकरार नहीं रखा जा सकता. जस्टिस विवेक अग्रवाल तथा जस्टिस देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने यह फैसला सुनाया. आरोपियों की तरफ से दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए उन्होंने कहा कि पहचान परेड में अति विलंब तथा अन्य विसंगतियों के कारण अभियोजन पक्ष का मामला संदेहास्पद है.
आरोपियों ने गैंगरेप मामले में आजीवन कारावास की सजा को हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
जबलपुर के गढ़ा निवासी संजू सोनकर तथा अमर जाट ने गैंगरेप के मामले में आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. अपील में कहा गया था कि जिला न्यायालय ने एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था. मामले के अनुसार पीड़िता 8 फरवरी 2012 को अपने चचेरे भाई के साथ शारदा मंदिर मदन महल दर्शन करने आई थी. वापस लौटते वक्त राहुल व अन्य अभियुक्तों ने उन्हें रोककर पता पूछा. इसके बाद अभियुक्त उसे पहाड़ी के पीछे ले गए और उसके साथ बारी-बारी से बलात्कार किया. इस दौरान उसका चचेरा भाई अभियुक्तों की गिरफ्त में था.
पीड़िता के चचेरे भाई ने घटना की रिपोर्ट गढ़ा थाने में दर्ज कराई. पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर अपीलकर्ताओं सहित एक आरोपी को गिरफ्तार किया था. अपीलकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि उनकी शिनाख्त परेड थाने में नहीं करवाई गई. 3 अक्टूबर 2013 को न्यायालय में शिनाख्त परेड करवाई गई. इस दौरान अपीलकर्ता अमर जाट के संबंध में पीड़िता ने अपने बयान में खुद कहा था कि घटना के बाद वह परेशान थी, इसलिए वह इस संबंध में कुछ नहीं बता सकती है.
युगलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए सुनाया फैसला
युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता व उसके चचेरे भाई ने यह बात स्वीकार की है कि अभियुक्तों द्वारा नाक की पिन लूटने का उल्लेख एफआईआर में नहीं करवाया गया था. घटना के बाद चचेरे भाई ने घर वापस जाने के लिए अभियुक्तों से सौ रुपये मांगे थे. इसके अलावा चचेरे भाई ने खुद स्वीकार किया है कि उसने घटना नहीं देखी है जबकि वह घटनास्थल पर उपस्थित एक स्वतंत्र गवाह था. एमएलसी की रिपोर्ट के अनुसार भी पीड़िता को किसी प्रकार की चोट नहीं आई थी. युगलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पहचान परेड में देरी अभियोजन के लिए घातक है.