जबलपुर। जो चॉकलेट आपके लिए गिफ्ट देने या मीठा खाने का एक विकल्प है. उसे चॉकलेट की अहमियत अमित नारायण की जिंदगी में कुछ अलग ही है. वह चॉकलेट ही थी, जिसे अमित नारायण को जीने का एक नया तरीका दिया. अमित जबलपुर में होममेड चॉकलेट बनाकर न केवल अपना जीवन यापन कर रहे हैं, बल्कि चॉकलेट के मामले में कई नए प्रयोग कर रहे हैं.
नौकरी जाने के बाद चॉकलेट आई काम
चॉकलेट किसी के लिए एक छोटा सा मीठा हो सकता है, लेकिन अमित नारायण के लिए चॉकलेट का महत्व मीठे से कहीं ज्यादा है, बचपन में अमित नारायण चॉकलेट के साथ कुछ प्रयोग करते रहते थे. अलग-अलग तरह की चॉकलेट बनाना उनका शौक था, उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह चॉकलेट किसी दिन उन्हें विपत्ति के समय में मदद करेगी. अमित नारायण ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक टेलीकॉम कंपनी में नौकरी शुरू की. लगभग 15 साल नौकरी करने के बाद अचानक कंपनी बंद हो गई और हजारों कर्मचारियों की नौकरी चली गई. अमित नारायण के पास कोई दूसरी नौकरी नहीं थी. काम का कोई दूसरा अनुभव भी नहीं था. लिहाजा अमित दिल्ली से जबलपुर लौटे और उन्होंने अपने शौक को ही अपना रोजगार का जरिया बनाने का निर्णय लिया.
कैसे बनती है होममेड चॉकलेट
अमित बचपन में चॉकलेट खरीदते थे और उन्हें अलग-अलग शेप में बनाने की कोशिश करते थे, लेकिन वह बचपन का खेल था. अब उन्हें बाजार में बड़ी चॉकलेट कंपनियों के सामने अपने प्रोडक्ट को बेचना था. लिहाजा उन्होंने मुंबई के एक चॉकलेट इंस्टीट्यूट से चॉकलेट का कोर्स किया और इसके बाद उन्होंने चॉकलेट बनाना शुरू किया. अमित के पास कोई कारखाना नहीं था. इसलिए उन्होंने अपने घर में ही एक कमरे में वर्कशॉप शुरू की. आज भी अमित अपने घर से ही चॉकलेट बनाकर बाजार में बेचते हैं. अमित कई किस्म की रॉ चॉकलेट लेकर आते हैं और फिर उनमें नट्स और टेस्ट की नई चीज डालकर उन्हें अलग-अलग शेप में तैयार करते हैं. चॉकलेट में कुछ छोटी-छोटी बारीकियां होती हैं, जो अमित कहते हैं कि काम करते-करते ही समझ में आती हैं. चॉकलेट को मेल्ट करके उसे सांसों में डाला जाता है.