रांची:झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की घोषणा कभी भी हो सकती है. ऐसे में राज्य की राजनीति में 2019 विधानसभा चुनाव की चर्चा भी खूब हो रही है. 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन ने प्रचंड जीत दर्ज करते हुए भाजपा को गद्दी से बेदखल कर दिया था. तब 81 निर्वाचित सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में महागठबंधन ने 47 सीटें जीत ली थी.जिसमें 30 सीट झामुमो, कांग्रेस की 16 और राष्ट्रीय जनता दल की 01 सीट थी.
क्या महागठबंधन में कमजोर कड़ी है राजद?
तब राजनीतिक विश्लेषकों ने राष्ट्रीय जनता दल को गठबंधन की कमजोर कड़ी बताते हुए कहा था कि राज्य में राजद की ताकत अब छिन्न हो गई है, लेकिन वास्तव में क्या झारखंड में राजद की राजनीतिक ताकत सिर्फ एक विधानसभा सीट जीतने के लायक रह गयी है. क्या बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय जनता दल अब राज्य की राजनीतिक में अप्रासंगिक हो गई है.
इस सवाल का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता उपेन्द्र कुमार ने राजद की राजनीति को करीब से जानने समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार और कई नेताओं से बात की.
2019 विस चुनाव में चतरा सीट ही जीत पाया था राजद
2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल को हुसैनाबाद, गोड्डा, देवघर, छतरपुर, कोडरमा, बरकट्ठा और चतरा की सीटें मिली थी. इन सात सीटों में से राजद सिर्फ एक चतरा की सीट ही जीतने में सफल रहा था. वहां पार्टी उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता ने 101710 मत लाकर भाजपा उम्मीदवार जनार्दन पासवान को 24055 मतों से हराया था. यहां भाजपा प्रत्याशी को 77655 मत मिले थे.
ये तीन सीट जीतते-जीतते हार गया था राजद
भले ही 2019 विधानसभा चुनाव में राजद सिर्फ एक सीट जीत पाया था, लेकिन तीन ऐसी सीटें थी जिसमें राजद अंतिम समय तक जीतता नजर आ रहा था, पर अंतिम समय में बेहद कांटे के मुकाबले में थीन मार्जिन से राजद उम्मीदवारों की हार हो गयी थी. विधानसभा की गोड्डा,देवघर और कोडरमा ऐसी विधानसभा सीटें थी जहां राष्ट्रीय जनता दल की जीत साफ दिख रही थी, लेकिन भाजपा नेताओं ने अपने अथक प्रयास और राजद के ओवर कॉन्फिडेंस की वजह से बहुत ही कम मतों के अंतर से राजद को हार का सामना करना पड़ा था.
कोडरमा विधानसभा सीट
2019 में राज्य की कोडरमा विधानसभा सीट राजद के साथ-साथ भाजपा के लिए भी बेहद प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई थी. राजद की परंपरागत सीट पर 2019 के चुनाव में सारे समीकरण उलटे पड़ गए थे. लालू प्रसाद के बेहद विश्वसनीय और करीबी नेता अन्नपूर्णा देवी भाजपा में शामिल होकर कोडरमा से सांसद बन चुकी थीं तो भाजपा ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री नीरा यादव को चुनावी मैदान में उतार दिया था.
तब राजद सुप्रीमो ने अपने एक अन्य करीबी नेता को सुभाष यादव को पार्टी का सिंबल दिया था, लेकिन राज्य के वोटर लिस्ट में नाम नहीं होने की वजह से नामांकन रद्द होने की संभावना को देखते हुए अंतिम समय में ईमानदार छवि वाले नेता अमिताभ कुमार को उम्मीदवार बनाया था. इस विधानसभा चुनाव में अन्नपूर्णा देवी की मदद के बावजूद नीरा यादव कोडरमा सीट बहुत मुश्किल से सिर्फ 1797 मतों से चुनाव जीत पायीं थीं. नीरा यादव को तब 63675 मत मिले थे, जबकि राजद प्रत्याशी को 61878 मत प्राप्त हुए थे.
गोड्डा विधानसभा सीट
2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान गोड्डा विधानसभा सीट पर भी राष्ट्रीय जनता दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था. यहां राजद के वर्तमान में प्रधान महासचिव संजय प्रसाद यादव बेहद नजदीकी मुकाबले में भाजपा के अमित मंडल से 2603 वोट से हार गए थे.भाजपा उम्मीदवार को 75906 मत मिले थे, जबकि राजद उम्मीदवार को 73303 मत मिले थे.
देवघर विधानसभा सीट