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केरल के कॉटन की बढ़ी डिमांड, इप्षा बना रही मधुबनी पेंटिंग से डिजाइनर कपड़े, ऑनलाइन भी उपलब्ध

Madhubani Painting On Kerala Saree: बिहार में पारंपरिक कला रूपों की एक श्रृंखला है, जो सभी को अपने ओर खींचती है. इसी का उदाहरण है मधुबनी पेंटिंग, जो आजकल काफी ट्रेंड में है. मुजफ्फरपुर की इप्षा पाठक केरल के कॉटन कपड़ों को मधुबनी पेंटिंग ट्विष्ट दे रही हैं. यहां जानें कैसे बनाती हैं वो नॉर्थ-साउथ का ये बेजोर मेल.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 21, 2024, 12:49 PM IST

कॉटन के कपड़ों पर मधुबनी पेंटिंग की खूबसूरती

मुजफ्फरपुर: केरल के कॉटन से बने कपड़े की बिहार में डिमांड बढ़ गई है. मुजफ्फरपुर में कुर्ते और साड़िया बनाई जा रही है, उसपर मधुबनी पेंटिंग का डिजाइन उसे आकर्षण का केंद्र बना रहा है. इसकी डिमांड होली में काफी बढ़ गई है. मार्केट में ऑनलाइन और ऑफलाइन इसकी खूब खरीद हो रही है. इसे शहर के पुरानी बाजार की रहने वाली इप्षा पाठक बना रही है. इप्षा अलग-अलग तरीके से पारंपरिक कपड़े बनाती हैं, वो पर्व त्योहारों में बनने वाले परिधानों में मधुबनी पेंटिंग कर चार-चांद लगा देती हैं.

लॉक डाउन में की थी शुरुआत: इप्षा बताती हैं कि वह लॉक डाउन से काम कर रही हैं. मास्क बनाने से शुरुआत की अब वह ट्रेडिशनल कपड़े भी बनाती हैं. अभी वे केरल के कॉटन और भागलपुर के सिल्क से साड़ी और कुर्ते बना रही हैं. उसपर मधुबनी पेंटिंग से डिजाइन भी कर रही है. डिजाइन किए गए कपड़े लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं. इसे वे घर से ही बेच रही हैं, जिसका अच्छा मुनाफा हो रहा है. इसके लिए उन्हें ऑनलाइन आर्डर भी आ रहे हैं.

केरल के कॉटन कपड़ों को मधुबनी पेंटिंग
कितनी है इन कपड़ों की कीमत: उनका कहना है कि बेंगलुरु, केरल समेत अन्य साउथ के बड़े शहरों से वे कच्चा मटेरियल मंगा रही हैं. भागलपुर की सिल्क भी काफी मशहूर है उसे भी मंगा रही है. इन दोनों से वह कई तरह की साड़ी और कुर्ते बनाती हैं, जो लोगो को काफी पसंद आता है. आमतौर पर केरल कॉटन थोड़ी महंगी पड़ती है लेकिन आरामदायक बहुत होती है. एक साड़ी करीब 800 से 1000 रुपये में मार्केट में बेच देती हैं. हर कपड़े पर करीब 300 से 400 की बचत हो जाती है. जिससे मुनाफा भी बढ़िया होता है.

क्या केरल कॉटन के फायदे:इष्पा ने इन कपड़ों की खासियत बताते हुए कहा कि केरल कॉटन आसानी से फटता नहीं है. इसपर ब्रश का इस्तेमाल आप आसानी से कर सकते हैं. इससे वह खराब नहीं होते हैं. यह कॉटन हर मौसम के लिए अच्छा है. यह शरीर को ठंडक देने का काम करता है, बदलते मौसम में त्वचा की नमी बरकरार रखना काफी चुनौतिपूर्ण होता है, इसमें भी यह बहुत काम आता है. आम कॉटन के मुकाबले इसमें भारीपन नहीं होता है, यह काफी हल्का होता है.

"भागलपुरी सिल्क साड़ी की अपनी चमक है, पहनने में कंफर्ट और डिजाइन के लिए भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इसलिए भागलपुरी सिल्क होली कलेक्शन में शामिल है. इसे बारह महीने पहना जा सकता है. वेट में भी काफी हल्की है, साफ-सफाई से लेकर इसे रखने तक में काफी आसानी होती है."-इष्पा पाठक, डिजाइनर

कपड़ों के अलवा भी बनाती हैं बहुत कुछ: उन्होंने बताया कि वे बैग, कैलेंडर, कपड़े में साड़ी, सॉल समेत अन्य कई चीजों पर मिथिला पेंटिग की थीम पर काम करती हैं. उसे ऑनलाइन और ऑफलाइन बेचती हैं. उन्हे इससे नई पहचान मिली है, जिससे उन्होंने धीरे-धीरे मार्केट फैलाया है, काम बढ़ने लगा तो कुछ महिलाओं को भी जोड़ लिया है. वे किसी भी फेस्टिवल सीजन में 40 से 50 हजार रुपये कमा लेती हैं. अन्य महीनो में भी अच्छी कमाई हो जाती है.

कुर्तियों पर मधुबनी पेंटिंग
विदेश से आते हैं ऑर्डर: उन्होंने बताया जब मार्केट पकड़ा तो बिहार के अन्य जिलों से ऑर्डर आते थे लेकिन अब कई राज्य से ऑर्डर आते हैं. इसके अलावा, अमेरिका, इंग्लैंड, दुबई से भी ऑर्डर आते हैं. लोगों तक मिथिला पेंटिंग से सजे कपड़े, सामान पहुंच सके, इसकी कोशिश की जा रही है. वही पर्व के महीने में इसे और ज्यादा आकर्षक बनाने की तैयारी रहती है.

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