मऊ:2003 बैच के IPS अफसर अखिलेश कुमार सिंह को असम में बड़ी जिम्मेदारी मिली है. इनको राज्य की कानून-व्यवस्था का प्रमुख बनाया गया है. अखिलेश केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर 2019 से 2022 तक कोलकाता में सीबीआई में डीआईजी की पोस्ट पर रहे. इस दौरान उनका सीएम ममता बनर्जी से टकराव भी हुआ, जिससे वे सुर्खियां बन गए. असम कैडर के अखिलेश का क्या है यूपी कनेक्शन, आइए जानिए.
अखिलेश कुमार सिंह का यूपी से नाता:मऊ के मधुबन विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव मुरारपुर में कृष्ण मुरारी सिंह के घर 1979 में अखिलेश कुमार सिंह का जन्म हुआ. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई. माता सुनैना सिंह गृहिणी हैं. प्रधानाध्यापक पिता की देखरेख में शुरू से ही अखिलेश कुमार सिंह अनुशासित रहे. उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए जिले के प्रतिष्ठित डीएवी इंटर कॉलेज में दाखिला लिया. 1995 में डीएवी से इंटरमीडिएट पास कर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से BA और MA की डिग्री हासिल की. इसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए.
असम कैडर मिला तो आतंकवाद-दंगे पर लगाई लगाम:अखिलेश कुमार सिंह ने कड़ी मेहनत के दम पर 2003 में प्रतिष्ठित यूपीपीएससी (UPPSC) परीक्षा पास की और आईपीएस बन गए. इनको असम कैडर मिला. जिस समय असम में उनकी तैनाती हुई, उस समय राज्य में आतंकवाद और सांप्रदायिक दंगे चरम पर थे. इन्होंने अपने कड़े फैसलों और जनता के बीच भरोसा कायम करते हुए आतंकवाद-सांप्रदायिक दंगों को रोकने में काफी हद तक सफलता पाई. 2014 में उल्फा के विरुद्ध अभियानों के लिए इनको राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित किया गया. इसके बाद असम के अलग-अलग जिलों में पुलिस अधीक्षक तथा रेंज में डीआईजी रहे.
ममता से टकराव, चार मंत्रियों को गिरफ्तार कर चर्चा में आए:अखिलेश कुमार सिंह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर 2019 से 2022 तक कोलकाता में सीबीआई में डीआईजी की पोस्ट पर रहे. वे 2021 में पश्चिम बंगाल सरकार के चार मंत्रियों को नारदा कांड में उनके घर से गिरफ्तार करने के बाद राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में आ गए. इनके विरुद्ध मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 6 घंटे तक अनशन पर बैठी रहीं. उनके ऑफिस का घेराव किया और अपने मंत्रियों को रिहा करने की मांग की. उनके ऑफिस पर पथराव भी किया गया, लेकिन इन्होंने मंत्रियों को नहीं छोड़ा और जेल भेज दिया था.