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अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में 100 साल बाद आए देवता खुड्डी जहल, रियासत काल से है गहरा नाता - International Shivratri Festival

Devta Khuddi Jahal in Shivratri Mela After 100 Years: छोटी काशी मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का आज 15 मार्च को समापन होने वाला है. शिवरात्रि महोत्सव में 100 साल बाद देवता खुड्डी जहल शामिल हुए. देवता के पास आज भी मंडी के राजा का दिया हुआ 150 साल पुराना सोने का छत्र और 6 चादरें मौजूद हैं.

Devta Khuddi Jahal in Shivratri Mela After 100 Years
Devta Khuddi Jahal in Shivratri Mela After 100 Years

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 15, 2024, 9:17 AM IST

Updated : Mar 16, 2024, 7:18 AM IST

शिवरात्रि महोत्सव में देवता खुड्डी जहल

मंडी: छोटी काशी मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मनाया जा रहा है. जिसका समापन आज, 15 मार्च को होगा. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला द्वारा शिवरात्रि महोत्सव का समापन किया जाएगा. वहीं, देवता खुड्डी जहल इस अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में 100 सालों के बाद शामिल हुए हैं. देवता खुड्डी जहल के पास आज लगभग 150 साल पुराना सोने का छत्र मौजूद है, जिसे मंडी के राजा विजय सेन ने देवता को भेंट स्वरूप दिया था. इसके अलावा देवता खुड्डी जहल के पास राजा की तरफ से दी गई 6 चादरें और वाद्य यंत्र भाणा भी आजतक मौजूद है.

देवता खुड्डी जहल

संतान प्राप्ति के लिए होती है देवता की पूजा

देवता के पुजारी रूप लाल शर्मा ने बताया कि जब तक देवता खुड्डी जहल को राजा द्वारा दी गई चादर नहीं बांधी जाती, तब तक देवता कहीं नहीं जाते हैं. देवता खुड्डी जहल का रियासत काल में राज परिवार के साथ विशेष लगाव था. राजा विजय सेन ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर देवता को सोने का छत्र, 6 चादरें और भाणा भेंट स्वरूप दिए थे. हालांकि राजा द्वारा भेंट की गई ये चादरें अब बहुत ज्यादा पुरानी हो गई हैं, लेकिन अब भी जब तक इन चादरों को रथ के साथ न बांधा जाए तब तक देवता कहीं भी नहीं जाते हैं. देवता खुड्डी जहल को संतान प्राप्ति और सभी प्रकार के दुखों को हरने वाला देवता कहा जाता है.

देवता का 150 साल पुराना सोने का छत्र

100 साल बाद देवता ने दिया मंडी आने का आदेश

बता दें कि देवता खुड्डी जहल का मूल स्थान कुल्लू जिले में है. देवता का मंदिर आनी उपमंडल के तहत आने वाले देहुरी गांव में स्थित है. यह गांव मंडी और कुल्लू जिलों की सीमाओं पर स्थित है. रियासत काल में देवता मंडी में आते थे, लेकिन किन्हीं कारणों से मंडी आना बंद कर दिया. बाद में जब जिलों का गठन हुआ तो देवता का मंदिर कुल्लू जिले में शामिल हो गया. देवता खुड्डी जहल के कारदार खूब राम ने बताया कि 100 सालों बाद इस बार देवता ने स्वयं शिवरात्रि महोत्सव में आने का आदेश दिया था. जिसके बाद उन्हें यहां लाया गया है. भविष्य में देवता हर बार शिवरात्रि महोत्सव में आएंगे. उन्होंने बेहतरीन स्वागत और इंतजामों के लिए जिला प्रशासन, मेला समिति और देवता समिति का आभार जताया.

शिवरात्रि मेले में 100 साल बाद आए देवता खुड्डी जहल

देवता के दर्शनों के लिए स्थानीय ग्रामीणों की उमड़ी भीड़

वहीं, 100 सालों बाद मंडी आए देवता खुड्डी जहल के दर्शनों के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी. मंडी के लोग इसे अपना सौभाग्य मान रहे हैं कि 100 सालों बाद उन्हें देवता खुड्डी जहल के दर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का मौका मिला. स्थानीय लोगों ने देवता के सामने प्राथना की देवता अपना आशीर्वाद मंडी जिले की जनता पर हमेशा बनाए रखें.

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Last Updated : Mar 16, 2024, 7:18 AM IST

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