उदयपुर.हर साल 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है. मेवाड़ में भी ऐतिहासिक प्राचीन धरोहरों को संजोकर रखा गया है. ऐसी ही प्राचीन धरोहरें उदयपुर के आहड़ संग्रहालय में मौजूद हैं. यहां पर चार हजार वर्ष पूर्व की सभ्यता के पुरावशेष रखे गए हैं. इसे देखने के लिए देश-दुनिया से लोग पहुंचते हैं. इसे आहड़ सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है. इस संग्रहालय में प्राचीन संग्रह पात्र, मूर्तियों में कच्छप अवतार, जैन तीर्थंकर, पाषाण मत्स्यावतार, चक्र कूप, आधारयुक्त तश्तरी आकर्षित करती है.
4 हजार वर्ष पूर्व की सभ्यता :संग्रहालय से जुड़े महेंद्र सिंह ने बताया कि 1960 में राजस्थान सरकार के पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा इस संग्रहालय का निर्माण किया गया था. आहड़ का वैभवशाली इतिहास लगभग 4 हजार वर्ष पुराना है. इस उत्खनन कार्य का नेतृत्त्व स्वर्गीय डॉ. एच. डी. संकालिया द्वारा किया गया था. यह पहली बार था, जब यहां से प्राप्त सफेद रंग से चित्रित काले एवं लाल रंग के पात्रों को उनकी विशेष बनावट व तकनीक के आधार पर इस संस्कृति को "आहड़ संस्कृति" नाम दिया गया. इस संग्रहालय में विभिन्न प्रकार की 7वीं सदी से 16वीं सदी तक की मूर्तियों का संग्रहण भी है. ये मूर्तियां आहड़ एवं दक्षिण पूर्वी राजस्थान से प्राप्त हिन्दू और जैन देवी-देवताओं की हैं. इनमें कुछ मूर्तियां तो बहुत आकर्षक हैं. संग्रहालय में इस क्षेत्र के लघु चित्र भी प्रदर्शित किये गए हैं, जो तत्कालीन लोगों की कला के बारे में बताते हैं. इसके अलावा संग्रहालय में अस्त्र-शस्त्र भी रखे गए हैं.