अंतरराष्ट्रीय बाल्यावस्था कैंसर डे. जयपुर.बच्चों और टीनएजर्स में पाए जाने वाले चाइल्डहुड कैंसर को लेकर अब दुनियाभर में जागरूकता पर जोर दिया जा रहा है. खास तौर पर बच्चों में ब्लड ब्रेन कैंसर लिम्फोमा और सॉलिड ट्यूमर के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं. मौजूदा वक्त में विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक हर साल करीब 4 लाख बच्चे और किशोर इस तरह के कैंसर का शिकार होते हैं.
जयपुर के भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के ब्लड कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उपेन्द्र शर्मा के मुताबिक बच्चों में कई तरह के ब्लड कैंसर होते हैं. इसके शुरुआती स्तर में इलाज से उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ किया जा सकता है. इलाज पूर्ण होकर स्वस्थ जीवन जी रहे सैकड़ों बच्चे सामान्य जांच के लिए अस्पताल में आते हैं, जो दूसरे बच्चों की तरह ही फिजिकल एक्टिविटी में भी पूरी तरह से एक्टिव होते हैं. बच्चों में कैंसर होने की वजहों का कोई खास कारण पता नहीं चल पाया है, लेकिन इससे जुड़ी कई रिसर्च हुई है. इसमें ये पाया गया है कि पर्यावरण और लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं.
डॉक्टर उपेन्द्र शर्मा ने कहा कि एपस्टीन-बार वायरस, एचआईवी और मलेरिया जैसे इन्फेक्शन भी बच्चों में कैंसर की वजह बन सकते हैं. हालांकि, कुछ आंकड़े ये भी बताते हैं कि आनुवांशिक कारणों से भी बच्चे कैंसर की चपेट में आ सकते हैं. साल 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बाल कैंसर के लिए वैश्विक पहल शुरू की थी. इसका मकसद साल 2030 तक कैंसर से पीड़ित बच्चों की जीवन रक्षा दर को कम से कम 60 फीसदी तक बढ़ाना है.
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समय पर उपचार की शुरुआत जरूरी :कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ताराचंद गुप्ता ने बताया कि बच्चों में भी कैंसर के केसेज काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. हर साल 4 लाख से ज्यादा बच्चे इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं. वैसे तो बच्चों में होने वाले कैंसर के मामलों में सर्वाइवल रेट काफी अच्छा होता है, लेकिन जागरूकता की कमी के चलते आज भी बच्चों का इलाज वक्त पर शुरू नहीं हो पाता है. इसकी वजह से बच्चों में सर्वाइवल रेट 30 फीसदी तक ही रह जाता है. डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि बच्चों में कई तरह के कैंसर होते हैं, जिनके शुरुआती लक्षण अलग-अलग होते हैं. जिनमें बार-बार बुखार आना, एनीमिया का इलाज लेने के बाद भी ठीक न होना, शरीर पर गांठ का उभरना शामिल है. बच्चों में कोई भी असामान्य लक्षण इलाज के बाद भी लम्बे समय तक ठीक न हो तो उसमें कैंसर विशेषज्ञ से एक जांच जरूर करवानी चाहिए.
विभिन्न योजनाओं में मिल रहा है इलाज :BMCH प्रबंधन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक जीवनदान परियोजना और किडनी कैंसर अनुकंपा परियोजना के तहत निशुल्क इलाज के बाद 184 बच्चे कैंसर मुक्त हो चुके हैं. 10 साल के रोहित को रक्त कैंसर की पहचान हुई. उस समय झुंझुनू में बेलदारी करने वाले रोहित के पिता राधेश्याम को एक ही चिंता सता रही थी, कैंसर के उपचार के लिए पैसा कहां से आएगा, लेकिन जब उन्हें अपने डॉक्टर से मुफ्त इलाज की जानकारी मिली, तो उन्हें राहत की सांस आई. इसके बाद करीब चार साल तक इलाज लेने के बाद रोहित कैंसर मुक्त हो गया. आज रोहित 20 साल का है और क्रिकेट का एक बेहतरीन प्लेयर भी है. रोहित जैसे और बच्चे भी अस्पताल से इस तरह का इलाज ले चुके हैं.
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डॉक्टर उपेन्द्र ने बताया कि बीएमसीएच में बच्चों के कैंसर से जुड़ी दो परीयोजनाएं चलाई जा रही हैं. इसके तहत बच्चों का मुफ्त इलाज किया जाता है. जिसमें जीवनदान परियोजना की शुरुआत के तहत लो रिस्क वाले तीन तरह के ब्लड कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल), एक्यूट प्रोमाईलोसाईटिक ल्यूकेमिया (एएमपीएल), होजकिन्स लिम्फोमा (एचएल) शामिल हैं. अगस्त 2014 से दिसंबर 2023 तक इस योजना में 8 करोड़ 2 लाख रुपए की लागत से 236 बच्चों को उपचार दिया जा रहा है. जिनमें से 168 बच्चे कैंसर मुक्त होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं. इसी के साथ किडनी कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए विल्मस टयूम नाम से परियोजना चल रही है. मई 2016 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत अब तक 16 बच्चे रजिस्टर्ड हुए, उन्हें करीब 26 लाख रुपए का इलाज देकर कैंसर मुक्त किया जा चुका है.