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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 22, 2024, 6:33 AM IST

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अंतररार्ष्ट्रीय ऊंट दिवस : रियासत काल में भी महत्वपूर्ण था 'रेगिस्तान का जहाज', जानिए रोचक तथ्य - International camel day 2024

International Camel Day 2024, ऊंट राजस्थान का राज्य पशु है. इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है. हर साल ऊंटों के संरक्षण को लेकर 22 जून को अंतरराष्ट्रीय ऊंट दिवस मनाया जाता है. इस बार साल 2024 को संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष घोषित किया है.

अंतरराष्ट्री ऊंट दिवस 2024
अंतरराष्ट्री ऊंट दिवस 2024 (ETV Bharat GFX)

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बीकानेर. संयुक्त राष्ट्र की ओर से वर्ष 2024 को अंतररार्ष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष घोषित किया गया है. दरअसल, इसका उद्देश्य यही है कि दुनिया भर में ऊंट का संरक्षण हो. दुनिया के 90 से अधिक देशों में पाए जाने वाला ऊंट से सिर्फ आजीवीकोपार्जन का ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में बहुत काम आता है. बात करें दुनिया भर में ऊंट की जनसंख्या की तो भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है. भारत में सबसे ज्यादा ऊंट राजस्थान में और खासतौर से पश्चिमी राजस्थान में पाए जाते हैं. सड़कों के बिछते जाल और कम होते रेगिस्तान के चलते ऊंट की जनसंख्या में काफी गिरावट आई है. ऊंट के संरक्षण को लेकर 2014 में राजस्थान सरकार ने इसे राज्य पशु घोषित किया था. पिछले कुछ सालों में देश-विदेश में ऊंट की जनसंख्या में काफी गिरावट देखने को मिली है.

रियासत काल में भी था महत्व, मारने पर जुर्माना : पश्चिमी राजस्थान की अगर बात करें तो यहां की लोगों की दैनिक जीवनचार्य में ऊंट पूरी तरह से शामिल रहा है. रियासत काल के समय ऊंट को विशेष दर्जा हासिल था. अभिलेखागार के निदेशक डॉ नितिन गोयल कहते हैं कि करीब डेढ़ सौ साल पहले रियासत काल के पुराने दस्तावेजों को देखने से मालूम चलता है कि उस वक्त ऊंट का कितना महत्व था. उन्होंने बताया कि एक अभिलेख में उल्लेख है कि किसी गांव में व्यक्ति ने ऊंट को मार दिया. उस वक्त रियासत की ओर से उस व्यक्ति से ₹70 जुर्माना वसूल किया गया. इसके लिए बाकायदा रियासत की ओर से वसूली के लिए सिपाही को भेजा गया और जुर्माना वसूल किया गया.

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भोजन पानी की व्यवस्था :गोयल ने बताया कि रियासत की ओर से फसल का एक हिस्सा ऊंट के लिए सुरक्षित रखा जाता था. गवार की फसल का एक हिस्सा केवल ऊंट के खाने के काम आता था. इसके लिए भी बाकायदा आदेश है, जिसकी प्रति आज भी अभिलेखागार में सुरक्षित है. वह कहते हैं कि इसके अलावा रियासत के हर गांव में ऊंट के पीने की पानी की व्यवस्था के लिए भी आदेश थे और किसी भी युद्ध और आपात स्थिति में ऊंट महत्वपूर्ण भूमिका में होती थी. आपात स्थिति के लिए वह हर समय तैयार रहें इसको लेकर भी उनको चलवाया जाता था. साथ ही ऊंट के बीमार होने पर उसकी तीमारदारी की पूरी व्यवस्था की जाती थी.

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