जानकारी साझा करते वाराणसी के नगर आयुक्त अक्षत वर्मा. (Photo Credit-Etv Bharat) वाराणसी :प्लास्टिक मुक्त प्रदेश, प्लास्टिक मुक्त देश यह नारा कई सरकारों ने दिया, लेकिन प्लास्टिक से मुक्ति का यह नारा, प्लास्टिक के खात्मे में सार्थक साबित नहीं हो रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि प्लास्टिक का कोई विकल्प लोगों के सामने उपलब्ध नहीं है. अमूमन लोग ठेला पटरी, बड़े दुकानदारों से प्लास्टिक में सामान लाते हैं. हालांकि वाराणसी नगर निगम ने इस समस्या के समाधान के लिए अनूठा अभियान शुरू किया है. इससे लोगों में प्लास्टिक यूज के प्रति धारणा बदल रही है. साथ ही इसे रोजगार से भी मिल रहा है.
वाराणसी में पुराने कपड़े एकत्र करते नगर निगम के अधिकारी. (Photo Credit-Etv Bharat) वाराणसी नगर निगम फिलवक्त गंगा किनारे और अन्य धार्मिक जगहों पर दान किए गए और लोगों को दिए जाने वाले यूजलेस कपड़ों को इकट्ठा करके उनके निस्तारण के स्वरूप इससे कपड़े के बैग तैयार करा रहा है. इसके बाद प्रतिदिन 200 से 250 बैग दुकानदारों को बांटे जा रहे हैं. इन बैग्स को तैयार करने में महिलाओं को लगाया है. जिससे उनकी आमदनी में भी इजाफा हो रहा है.
पुराने कपड़े जमा करते नगर आयुक्त. (Photo Credit-Etv Bharat) वाराणसी के नगर आयुक्त अक्षत वर्मा का कहना है कि पहली बार रथयात्रा मेले को नो प्लास्टिक जोन घोषित करते हुए बड़ी कार्रवाई शुरू की गई थी. इसी दौरान प्लास्टिक का विकल्प तलाशने का ख्याल आया. इसी के तहत गंगा किनारे और अन्य धार्मिक स्थलों पर फेंके गए और दान स्वरूप दिए गए कपड़ों के निस्तारण की व्यवस्था पर मंथन किया गया. इसमें वाराणसी के एनजीओ होप फाऊंडेशन ने हाथ बढ़ाया.
पुराने कपड़ों से बैग तैयार करती महिला. (Photo Credit-Etv Bharat)
होप फाउंडेशन ने हमारे साथ मिलकर कपड़ों को साफ सुथरा करने के बाद रीयूज करने के लायक बनाने पर डिस्कशन किया और पुरानों कपड़ों के बैग बनाने शुरू किए. अब प्लास्टिक के खिलाफ अभियान के दौरान होप फाउंडेशन के सदस्य साथ रहते हैं और दुकानदारों को 10, 15, 20 की संख्या में कपड़े के बैग और झोले डिस्ट्रीब्यूट करते हैं. अभियान के तहत हर महीने नगर निगम की सीमा में एक लाख कपडे के बैग और झोले ठेले, पटरी, दुकानों में फ्री में देने की तैयारी है.
पुराने कपड़ों से बैग तैयार करती महिलाएं. (Photo Credit-Etv Bharat) नगर आयुक्त अक्षत वर्माने बताया कि अभी हम कपड़े के बैग निशुल्क वितरण करा रहे हैं, लेकिन लोगों में इसकी आदत आए और लोग इसका महत्व समझें इसलिए हम 1 रुपये व 2 रुपये एक नॉमिनल चार्ज लेकर लोगों के बीच पहुंचाएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि इस इनिशिएटिव से प्लास्टिक मुक्त अभियान में सफलता मिल रही है. वहीं दूसरी तरफ बैग बनाने के काम से महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है. फिलवक्त 40 महिलाएं काम पर लगी हैं और उन्हें करीब 4000 रुपये महीने तक की कमाई होती है. प्रतिदिन एक महिला 20 से 22 बैग तैयार करती है.
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