इंदौर। मानव शरीर और पर्यावरण के लिए घातक थाईलैंड की मांगुर मछली का अब मध्य प्रदेश में चोरी छुपे परिवहन हो रहा है. हाल ही में इंदौर में चोरी छिपे लाई गई 6 क्विंटल मछली को मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने जब्त करके नष्ट किया. इसके पहले भी इंदौर में मांगुर मछली जब्त की गई थी. जिसके बीज चोरी छुपे थाईलैंड से लाए गए हैं. जिसका अब मध्य प्रदेश में चोरी छिपे उत्पादन करके बाजार में बेचा जा रहा है.
6 क्विंटल मांगुर मछली जब्त
इंदौर के सदर बाजार क्षेत्र में मत्स्य विभाग के सहायक संचालक एमके पानखेड़े ने प्राप्त सूचना के आधार पर जब यहां एक वाहन क्रमांक एमपी 09 -एलआर-6264 की जांच की तो संबंधित गाड़ी में दो टंकियां में करीब 6 क्विंटल थाईलैंड की मांगुर मछली पाई गई. इसके बाद मत्स्य विभाग की टीम ने गाड़ी और संबंधित मछली को जब्त कर लिया. इस मामले में वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. मछली को शहर के बिलावली तालाब परिसर के पास नष्ट किया गया.
घातक है थाईलैंड की मांगुर मछली
दुनिया भर में यह इकलौती ऐसी मछली की किस्म है जो सड़ा हुआ मांस और गंदगी आसानी से खाती है. इस मछली को थाईलैंड में विकसित किया गया है जो मानव शरीर और पर्यावरण दोनों के लिए घातक है. इस मछली का वजन 1 किलो से लेकर 10 किलो तक होता है. जो वॉकिंग कैटफिश के नाम से भी जानी जाती है. बताया जाता है कि तालाब के सूखने पर यह दूसरे तालाब में सांप की तरह चलकर भी जा सकती है.
भारत सरकार ने उत्पादन पर लगाया है प्रतिबंध
दरअसल भारत में इसके बीज को चोरी छुपे थाईलैंड से लाया गया है. यह मछली ₹100 से लेकर 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक जाती है. कुछ ही दिनों में यह विकसित होकर कई किलो तक वजनी हो जाती है. यही वजह है कि मछली पालन करने वाले मछुआरे कम लागत में अधिक मुनाफे के चलते अब इस मछली का चोरी छुपे उत्पादन कर रहे हैं. भारत सरकार ने वर्ष 2000 में इस मछली के उत्पादन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है. दरअसल इसकी वजह मछली में पाया जाने वाला आयरन और लैड है जो मांगुर मछली के शरीर में 80% तक पाया जाता है.