इंदौर।शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना में हुई गड़बड़ियों की परतें खुलने लगी हैं. जिन एजेंसियों के पास योजना के तहत तैयार हजारों फ्लैटों को बेचने की जिम्मेदारी थी, नगर निगम ने उनके साथ अनुबंध आगे बढ़ाना तक जरूरी नहीं समझा. निगम ने एजेंसियों से 18 फरवरी 2019 को तीन वर्ष के लिए अनुबंध किया था. इसके समाप्त होने के बाद एजेंसियां बगैर अनुबंध के काम करती रहीं. मार्केटिंग कंपनी की आड़ में निगम के कर्ताधर्ताओं की संदेहास्पद भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.
अनुबंध समाप्त होने के बाद मनमानी करती रहीं एजेंसियां
नगर निगम ने एजेंसियों से 18 फरवरी 2019 को तीन वर्ष के लिए अनुबंध किया था. बाद में 18 अगस्त 2022 को अनुबंध किया गया, जो 18 फरवरी 2023 को समाप्त हो चुका है. इसके बाद कोई नया अनुबंध नहीं किया गया. यानी एजेंसियां एक वर्ष से बगैर किसी अधिकार के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तैयार आवासीय इकाइयों को बेच रही थीं. दो माह पहले ही एजेंसियों की गड़बड़ी सामने आ चुकी थी. नगर निगम ने 5 जनवरी 2024 को एजेंसियों को नोटिस भी जारी किया था. इस नोटिस के जवाब में एजेंसियों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वर्तमान में निगम का हमारे साथ कोई अनुबंध ही अस्तित्व में नहीं है. बावजूद इसके निगम के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की.