इंदौर।वैसे तो देश में मूर्तियों को बनाने वाले कई कलाकार हैं फिर चाहे मिट्टी की मूर्ती हो या पत्थर की या किसी अन्य चीज से बनी मूर्तियां, लेकिन इंदौर के रहने वाले इस कलाकार की मूर्तियां भी बेजोड़ हैं,नायाब हैं और उतनी ही आकर्षक और मन मोह लेने वाली. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि ये सभी मूर्तियां या दूसरी कलाकृतियां मेटल से ही बनाई गई हैं लेकिन कबाड़ के मेटल से जिसे लोग कबाड़ी को दे देते हैं. पहली नजर में देखकर तो आप समझ ही नहीं पाएंगे कि ये कबाड़ के मेटल से बनीं हैं.
इंदौर के देवल वर्मा का स्टार्टअप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को रोजगार के लिए अलग-अलग तरह के स्टार्टअप खोलने की सलाह दी है. ऐसे में अलग-अलग तरह के स्टार्टअप युवाओं के द्वारा खोले भी जा रहे हैं और वह काफी सक्सेस भी हो रहे हैं. इसी कड़ी में इंदौर के रहने वाले एक युवा देवल वर्मा ने स्क्रैप के माध्यम से अलग-अलग तरह की मूर्तियां बनाई हैं जो पूरे देश में काफी फेमस भी हो रही हैं. इसी कड़ी में इंदौर के रहने वाले युवा हाल ही में एक हनुमान जी की मूर्ति बना रहे हैं. ये मूर्ति लगभग तैयार है और देखने में आकर्षक है.
मैकेनिकल इंजीनियर हैं देवल वर्मा
इंदौर के रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियर देवल वर्मा 2017 से अपना स्टार्ट अप चला रहे हैं. उनका कहना है कि जब स्टार्ट अप को लोग जानते नहीं थे उसके पहले उन्होंने इसकी शुरुआत कर दी थी. उन्होंने अब तक कई तरह की मूर्तियां और कलाकृतियां बनाई हैं. हाथी,मोर,तोता,गिटार, बाज समते कई तरह के पशु पक्षियों की आकृतियां बनाई हैं. भारत का नक्शा भी देखने लायक है तो कई प्रकार के मुखौटे भी उनकी कलाकृतियों में शामिल हैं. मुंबई स्टॉक एक्सचेंज के बाहर जो बुल है वह भी उनके द्वारा ही बनाया गया है. देश के उद्योगपति मुकेश अंबानी को भी उन्होंने एक कलाकृति ऑर्डर पर बनाकर दी है, यानि एक से बढ़कर एक कलाकृतियां बनाने में माहिर हैं देवल वर्मा.
गोधरा के कारोबारी ने दिया है मूर्ति का ऑर्डर
गुजरात के गोधरा के एक कारोबारी ने देवल को सोशल मीडिया के माध्यम से ढूंढा और उन्हें हनुमानजी की मूर्ति बनाने का ऑर्डर दिया. वैसे तो वे कई प्रकार की मूर्तियां बना चुके हैं लेकिन हनुमानजी की मूर्ति बनाना उनके लिए चैलेजिंग था. इस कारोबारी ने अपने रेस्टोरेंट में लगाने के लिए हनुमानजी की मूर्ति का ऑर्डर दिया है. मूर्ति लगभग बनकर तैयार है. देवल वर्मा बताते हैं कि यह उनके लिए बड़ा चैलेंज था कारण मूर्ति के चेहरे को बनाना इतना आसान नहीं था. ऑर्डर मिलने के बाद लगभग दो से तीन महीने में डिजाइन फाइनल हुआ. उसके बाद अलग-अलग तरह का स्क्रैप हनुमान जी की मूर्ति में लगाने के लिए लाया गया.