क्या हरदा जैसी दुर्घटना के इंतजार में है इंदौर? कांग्रेस का आरोप- पटाखा फैक्ट्री कांड से नहीं ले रहे सबक - fire safety indore
Indore in danger zone : इंदौर में मल्टीप्लेक्स, कार शोरूम और पेट्रोल पंप से घिरे घरेलू गैस के एक दर्जन से ज्यादा असुरक्षित गोदाम मौजूद हैं. एक गोदाम में डेढ़ हजार तक गैस सिलिंडर भरे जाते हैं.
इंदौर. हरदा में पटाखा फैक्ट्री हादसे (harda blast) के बाद अब इंदौर में गैस गोदाम के वैध और अवैध गोदामों को लेकर लोगों में खौफ है. हरदा की घटना के बाद शहर के तमाम गैस गोदाम (gas godowns) की जांच की मांग कांग्रेस द्वारा की गई है. इतना ही नहीं इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राज्य शासन को भी अवगत कराया गया है.
कहां हैं गैस के असुरक्षित गोदाम?
दरअसल, इंदौर में मल्टीप्लेक्स, कार शोरूम और पेट्रोल पंप से घिरे घरेलू गैस के एक दर्जन से ज्यादा असुरक्षित गोदाम (unsafe gas godowns) मौजूद हैं. एक गोदाम में डेढ़ हजार तक गैस सिलिंडर भरे जाते हैं. इस मामले में प्रदेश कांग्रेस महासचिव राकेश यादव ने कहा कि इन गोदामों में यदि कोई दुर्घटना होती है तो यह घटना भोपाल गैस त्रासदी से भी भीषण हो सकती है. ऐसी दुर्घटना में 5 किलोमीटर तक का क्षेत्र चपेट में आ सकता है.
नहीं हैं सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
सुरक्षा के इंतजाम या नियम की बात करें तो एक भी गोदाम ऐसा नहीं है जो सुरक्षा के मापदंडों पर खरा उतरता हो. इसपर प्रदेश कांग्रेस महासचिव राकेश यादव ने कहा कि हरदा पटाखा कांड के बाद प्रशासन ने पटाखों के गोडाउन पर छापे जरूर मारे लेकिन असुरक्षित गैस सिलेंडरों के गोदाम के कारण शहर अब भी बारूद के ढेर पर है. उन्होंने बताया कि नियम अनुसार हर साल गैस गोदामों का सालाना निरीक्षण जरूरी होता है. कलेक्टर की अनुमति भी लेना होती है लेकिन इस व्यवस्था का पालन नहीं किया जा रहा है.
प्रदेश कांग्रेस महासचिव ने आगे कहा कि कुछ वर्षों पूर्व फायर विशेषज्ञ बीएस टोंगर ने इंदौर आकर इन गोदामों का निरीक्षण किया था. उनका कहना था कि इंदौर बारूद के ढेर पर बैठा है. अगर एक भी गोदाम में दुर्घटना हुई तो उसकी चपेट में दूसरा गैस गोदाम आ जाएगा. इस तरह पूरा शहर मलबे के ढेर में तब्दील हो जाएगा. फिलहाल शहरभर में कई गोदाम ऐसी जगह चल रहे हैं, जहां या तो आसपास कारखाने हैं या फिर घनी आबादी. पत्थर मुंडला, पालदा, एमजी रोड, धार रोड, चंदन नगर, स्कीम 71 सहित कई ऐसी जगह गोदाम हैं, जहां पूरी तरह बसाहट हो चुकी है. यहां न सिर्फ लोग रह रहे, बल्कि हजारों की संख्या में वाहनों का आना-जाना भी रहता है.