इंदौर: इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) को सुप्रीम कोर्ट ने भी प्लॉटधारकों से मनमाना नामांतरण शुल्क वसूलने की हरी झडी नहीं दी. मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ से झटका मिलने के बाद इंदौर विकास प्राधिकऱण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. इससे इंदौर विकास प्राधिकरण से प्लॉट लेकर मकान बनाने वालों को बड़ी राहत मिली है.
इंदौर विकास प्राधिकरण की मनमानी पर नकेल, प्लॉटधारकों का नामांतरण शुल्क फिक्स - INDORE BIG RELIEF PLOT HOLDERS
इंदौर विकास प्राधिकरण को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है. इससे प्लॉटधारकों को बड़ी राहत मिली है.
By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : Jan 30, 2025, 12:11 PM IST
बता दें कि इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा नामांतरण के नाम पर प्लॉटधारकों से मनमानी फीस ली जा रही थी. इसके विरोध में हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई. हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने सुनवाई करते हुए आदेश दिए थे कि इंदौर विकास प्राधिकरण मनमाना शुल्क वसूल ना करे. इसके बाद इस आदेश को चुनौती देते हुए इंदौर विकास प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है.
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अब केवल 5 हजार फीस ही देनी होगी प्लॉटधारक को
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पंकज खंडेलवालके मुताबिक "इंदौर विकास प्राधिकरण जब प्लॉट बेचता है तो यह शुल्क पहले ही वसूल लिया जाता है. जब प्लॉटधारक नामांतरण करवाने के लिए फिर से इंदौर विकास प्राधिकरण जाता है तो 6 फीसदी फीस वसूली जाती है. यदि किसी प्लॉट की कीमत 20 लाख है तो 6 फीसदी के हिसाब से 1,20000 रुपए इंदौर विकास प्राधिकरण को नामांतरण शुल्क देना पड़ता है. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सिर्फ 5000 ही चुकाना होंगे. अब नामांतरण की अधिकतम राशि अब ₹5000 होगी, प्लॉट साइज कितना भी हो.