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शिमला की इस इमारत में सिमटी है भारत की स्वतंत्रता से जुड़ी एक-एक हलचल, ब्रिटिश राज की गवाही देती बिल्डिंग में आते रहे गांधी, पटेल, नेहरू व जिन्ना जैसे नेता - Independence Day 2024 - INDEPENDENCE DAY 2024

Indian Institute of Advanced Study Shimla: देशभर में आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है. देश की आजादी के दौर में शिमला का जिक्र भी जरूर आता है. खासकर वाइसरीगल लॉज शिमला का, आजादी के बाद ये इमारत राष्ट्रपति निवास बनी और फिर बाद में इस इमारत को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में तब्दील कर दिया. इस इमारत में देश की स्वतंत्रता से जुड़ी एक एक हलचल दर्ज है.

Indian Institute of Advanced Study Shimla
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (File Photo)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 15, 2024, 7:13 AM IST

Updated : Aug 15, 2024, 11:11 AM IST

शिमला: भारत को ब्रिटिश हुकूमत के शासन से आजादी मिले अब आठ दशक बीतने वाले हैं. देश की आजादी के आसपास जन्मी पीढ़ी उम्र की ढलान पर है. नई पीढ़ी को भारत की स्वतंत्रता के साथ-साथ देश विभाजन से जुड़ी तथ्यात्मक जानकारियां होनी चाहिए. इतिहास से ही वर्तमान है और वर्तमान ही भविष्य की नींव रखता है. देश के नक्शे में शिमला का स्थान अहम है और इसी पर्वतीय शहर में ब्रिटिश हुकूमत के सबसे बड़े नाम यानी वायसराय रहते थे. वे जिस इमारत में रहते थे, उसका नाम तब वाइसरीगल लॉज था. आजादी के बाद ये इमारत राष्ट्रपति निवास बनी और फिर बाद में देश के राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस इमारत को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में तब्दील कर दिया. इसी इमारत में देश की स्वतंत्रता से जुड़ी एक एक हलचल दर्ज है.

1945 में शिमला कॉन्फ्रेंस, फिर कैबिनेट मिशन की मीटिंग

ये इमारत 1884 में बनना शुरू हुई थी. चार साल निर्माण कार्य चलता रहा. वर्ष 1888 में ये इमारत बनकर पूरी हुई. इसी इमारत में वर्ष 1945 में शिमला कान्फ्रेंस हुई थी. उसके बाद वर्ष 1946 में कैबिनेट मिशन की मीटिंग हुई, जिसमें देश की आजादी के ड्राफ्ट पर चर्चा हुई थी. इस बैठक में जवाहर लाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद सहित कई अन्य नेता शामिल थे. महात्मा गांधी भी उस दौरान शिमला में थे, लेकिन वे वायसरीगल लॉज में हो रही बैठकों में शामिल नहीं हुए थे. अलबत्ता वे शिमला में ही एक स्थान पर कांग्रेस के नेताओं को सलाह आदि देते रहे थे. देश की आजादी से पूर्व की दो महत्वपूर्ण बैठकों के ब्यौरे से पहले यहां इस इमारत के संक्षिप्त इतिहास को जानना जरूरी है. नई सदी यानी वर्ष 2000 के बाद जन्मी पीढ़ी इस समय युवा अवस्था में है. उनमें से अधिकांश को शायद ही मालूम होगा कि देश की आजादी और विभाजन से जुड़े तमाम दस्तावेजों पर एक इमारत में चर्चा हुई होगी. इस इमारत ने बापू गांधी, चाचा नेहरू से लेकर मौलाना आजाद और मोहम्मद अली जिन्ना सहित कई नामी हस्तियों के कदमों की आहट सुनी है. यही नहीं, देश की आजादी के परवाने पर हुए दस्तखत की इबारत भी इस इमारत ने देखी है.

कुल 38 लाख में बनी ये भव्य इमारत

ब्रिटिश शासक गर्मियों के दिन बिताने के लिए किसी पहाड़ी स्टेशन की तलाश में थे. उनकी ये तलाश शिमला में पूरी हुई. तत्कालीन ब्रिटिश वायसराय लार्ड डफरिन ने शिमला को भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का फैसला लिया. उसके लिए यहां एक आलीशान इमारत तैयार करने की जरूरत महसूस हुई. वर्ष 1884 में वायसरीगल लॉज का निर्माण शुरू हुआ. कुल 38 लाख रुपए की लागत से वर्ष 1888 में ये इमारत बनकर तैयार हुई. इस इमारत में देश की आजादी तक कुल 13 वायसराय रहे. लार्ड माउंटबेटन अंतिम वायसराय थे. ये इमारत स्कॉटिश बेरोनियन शैली की है. यहां मौजूद फर्नीचर विक्टोरियन शैली का है. इमारत में कुल 120 कमरे हैं. इमारत की आंतरिक साज-सज्जा बर्मा से मंगवाई गई टीक की लकड़ी से हुई है.

1945 में हुई थी अहम शिमला कॉन्फ्रेंस

वर्ष 1945 में तत्कालीन वायसराय लार्ड वेबल की अगुवाई में यहां शिमला कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. ये कान्फ्रेंस वायसराय की कार्यकारी परिषद के गठन से संबंधित थी. इस परिषद में कांग्रेस के कुछ नेताओं को शामिल किया जाना प्रस्तावित था. लार्ड वेबल के साथ कुल 21 भारतीय नेता कॉन्फ्रेंस में शिरकत कर रहे थे. कुल 20 दिन तक ये सम्मेलन चला, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. बताया जाता है कि मोहम्मद अली जिन्ना कार्यकारी परिषद में मौलाना आजाद को मुस्लिम नेता के तौर पर शामिल करने में सहमत नहीं थे. उनका तर्क था कि मौलाना आजाद कांग्रेस के नेता हैं न कि मुस्लिम नेता. इस कान्फ्रेंस में बापू गांधी, नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद व मौलाना आजाद सहित कुल 21 भारतीय नेता थे.

कैबिनेट मिशन की बैठक में देश की आजादी पर हुई थी चर्चा

दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो चुका था. इस युद्ध ने ग्रेट ब्रिटेन की ताकत को गहरा झटका दिया था. अंग्रेज शासक अब भारत पर शासन करने में कामयाब होते नहीं दिख रहे थे. ऐसे में उन्होंने भारत को आजादी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. इसके लिए शिमला में कैबिनेट मिशन की बैठक बुलाई गई. ये बैठक 1946 की गर्मियों में हुई थी. इसमें कांग्रेस सहित मुस्लिम लीग के नेता मौजूद थे. कैबिनेट मिशन की बैठक में भारत को आजाद करने के ड्राफ्ट पर चर्चा हुई. साथ ही विभाजन की नींव भी इसी बैठक में पड़ी. इस बात पर इतिहासकार एकमत नहीं हैं कि विभाजन के ड्राफ्ट पर वाइसरीगल लॉज में दस्तखत हुए थे या फिर एक अन्य इमारत पीटरहॉफ में, लेकिन ये तय है कि ड्राफ्ट शिमला में ही डिस्कस और साइन हुआ.

आजादी के बाद राष्ट्रपति निवास बनी इमारत

देश आजाद होने के बाद वायसरीगल लॉज को राष्ट्रपति निवास बनाया गया. देश के राष्ट्रपति यहां गर्मियों का अवकाश बिताने के लिए आते थे. महान शिक्षाविद राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस आलीशान इमारत का सदुपयोग सुनिश्चित किया और वर्ष 1965 में इसे उच्च अध्ययन के केंद्र के तौर पर भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान का रूप दिया. अब ये इमारत देश-विदेश के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है. यहां स्थापित म्यूजियम में देश की आजादी व विभाजन से संबंधित फोटो रखे गए हैं. आजादी पर लिखी गई पुस्तकें भी हैं. संस्थान की लाइब्रेरी में 1.5 लाख किताबों का खजाना है. हर साल ये इमारत सैलानियों की आमद से टिकट बिक्री के रूप में 75 लाख रुपए से एक करोड़ रुपये की आमदनी करती है.

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Last Updated : Aug 15, 2024, 11:11 AM IST

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