सिरमौर: अमेरिका से अवैध प्रवासियों के साथ विमान में अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचने वालों में हिमाचल प्रदेश का 19 वर्षीय रितेश सिंह भी शामिल है, जिसे पुलिस ने सही सलामत उसके परिजनों के हवाले कर दिया है. हालांकि रितेश की सुरक्षित घर वापसी तो संभव हो गई, लेकिन इस पूरे प्रकरण में जालसाजों ने रितेश और उसके परिवार के साथ ठगी का ऐसा खेल खेला कि अमेरिका में नौकरी तो नहीं मिली, लेकिन ठगों ने उसे करीब 15 देश जरूर घुमा दिए.
परिवार को 45 लाख रुपये की लगी चपत
इस पूरे प्रकरण में यह परिवार 45 लाख रुपये गंवा बैठा, लेकिन सुकून इस बात का रहा कि उनका लाडला वापस सुरक्षित परिवार के पास आ गया है. ये मामला हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर से जुड़ा है. नाहन विधानसभा क्षेत्र की पालियो पंचायत के गुमटी गांव से ताल्लुक रखने वाला 19 वर्षीय रितेश अमेरिका से बीते रविवार को वापस स्वदेश लौट आया.
![अपने परिजनों के साथ रितेश](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-02-2025/hp-nhn-01-ritesh-parivaar-img-10004_17022025194149_1702f_1739801509_692.jpg)
परिजनों ने 40 लाख रुपये उठाया था लोन
सिरमौर जिला की कालाअंब पुलिस थाने की एक टीम रितेश को लेने के लिए अमृतसर गई थी. विदेश में नौकरी लगवाने के नाम पर ठगों ने रितेश के साथ ऐसा खेल खेला कि उसकी जान हर पल जोखिम में रही. रितेश की विदेश में नौकरी तो नहीं लगी, लेकिन पिता की तमाम संपत्ति जरूर लुट गई. 40 लाख रुपये लोन बैंकों से उठाकर माता-पिता ने अपने लाडले इस उम्मीद से भेजा कि शायद बेटा अमेरिका में सेटल हो जाए, लेकिन हुआ बिल्कुल इसके विपरीत वर्क वीजा के नाम पर अमेरिका पहुंचाने से पहले रितेश को जालसाजों ने करीब 15 देश घुमा दिए.
जालसाजों ने ऐसे ऐंठे पैसे
रितेश के पिता शमशेर सिंह जंगलाभूड स्कूल में एचटी के पद पर तैनात हैं. उन्होंने बताया "बाहरवीं कक्षा के बाद उनका बेटा रितेश बी फार्मा कर रहा था. इसी बीच पिछले साल मई-जून माह में वह हरियाणा के नारायणगढ़ क्षेत्र के एक एजेंट के संपर्क में आया, जिसने उसे कहा मुंबई में अमेरिका की एक दवा कंपनी है, जहां उसे महीने की 50-60 हजार रुपये की नौकरी मिल जाएगी और वहां से 6 महीने के बाद उसे अमेरिका भेज दिया जाएगा, जहां उसे ढाई से 3 लाख रुपये तक मासिक वेतन मिलेगा. इसके बाद रितेश 23 अगस्त 2024 को मुंबई चला गया. 2 दिन तक वहां रहा. करीब 3-4 दिन उसकी घर बात नहीं हो सकी. फोन भी स्विच ऑफ आ रहा था. 8-10 दिन बाद गयाना से व्हाट्सअप कॉल आई कि वह घबराए नहीं, वह नौकरी के लिए अमेरिका जा रहा है, जहां पहुंचने में उसे 10-15 दिन लग सकते हैं."
रितेश के पिता ने बताया "गयाना सहित ब्राजील, मैक्सिको आदि कई देशों से अलग-अलग व्हाट्सअप कॉल्स आई और वर्क वीजा के नाम पर अलग-अलग राशि की डिमांड की गई. बेटे के माध्यम से उतनी ही बात करवाई जाती थी, जितनी पैसे की डिमांड जालसाज करवाते थे. इस तरह से मैंने पहली बार 20 लाख और उसके बाद 10 लाख, 7 लाख, 3 लाख और 5 लाख रुपये वर्क वीजा के नाम पर भिजवाए. इसके मैंने दो अलग-अलग बैंकों से क्रमशः 20-20 लाख रुपये का लोन लिया, जिसके लिए जमीन भी गिरवी रखी. इसके अलावा 5 लाख रुपये की राशि मेरी जमा पूंजी थी."
शमशेर ने बताया कि बेटे ने घर वापसी पर उन्हें यह भी बताया कि जालसाजों ने मैक्सिको में उसे भूखा प्यासा भी रखा. करीब 15 देशों में घुमा जालसाजों ने उसे 25 जनवरी 2025 को मैक्सिको का बॉर्डर पार करवा दिया. इसके बाद उनका बेटा अमेरिका पहुंचा, जहां उसने इस पूरे प्रकरण से पुलिस को अवगत करवाया, लेकिन वीजा ना होने की सूरत में सीबीपी ने उसे अपनी कस्टडी में ले लिया. यहां रितेश का मेडिकल करवाने के साथ-साथ उसकी पूरी वेरिफिकेशन की गई.
हालांकि सीबीपी कस्टडी में उसे किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा और खाने-पीने सहित उसका हर तरह से ख्याल रखा गया. इसके बाद यहां से 13 फरवरी को उसे गाड़ी में बिठाकर एयरपोर्ट ले जाया गया, जहां से वह अन्य भारतीयों के साथ अमेरिकी विमान में अमृतसर लौटा. यहां से उसे सिरमौर की कालाअंब पुलिस अपने साथ हिमाचल लेकर आई और उसे सुरक्षित परिजनों को सौंप दिया गया.
बेटे की घर वापसी पर खुश है परिवार
पिता शमशेर ने बताया "बेटे की वापसी पर पूरा परिवार व रिश्तेदार बेहद खुश हैं. अपनी मन्नत के अनुसार वह विशाल भंडारा का आयोजन करेंगे. देवी-देवताओं के आशीर्वाद से ही उनका बेटा सकुशल अपने परिवार के पास पहुंचा है. पैसा जाने का उन्हें कोई दुख नहीं है. उनका बेटा ही उनकी कमाई है." एसपी सिरमौर एनएस नेगी ने बताया "रितेश को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है. साथ ही उसके बयान भी लिए गए हैं."
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