नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पॉक्सो कानून के तहत पीड़िता की हड्डियों की जांच के जरिये उम्र की पड़ताल करते समय अब ऊपरी आयु ही मान्य होगी. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने ट्रायल कोर्ट से इस मामले पर भेजे गए रेफरेंस के जवाब में ये फैसला सुनाया. दरअसल साकेत कोर्ट के स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में रेप का एक मामला आया था. पीड़िता की उम्र निर्धारित करने वाला कोई दस्तावेज उपलब्ध न होने पर साकेत कोर्ट ने हड्डियों की जांच के जरिये उम्र निर्धारित करने का आदेश दिया. इसके बाद जांच में पीड़िता की उम्र 16 से 18 वर्ष पाई गई.
साकेत कोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि हड्डियों की जांच के आधार पर जो रिपोर्ट आई है, उसके ऊपरी उम्र सीमा को माना जाना चाहिए, जो 18 वर्ष होती है. उसके बाद दो वर्ष की जांच में त्रुटि की छूट के आधार पर पीड़िता की उम्र 20 वर्ष मानी जानी चाहिए. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि आरोपी के खिलाफ पॉक्सो कानून लागू नहीं होता, इसलिए पॉक्सो एक्ट के तहत सुनवाई नहीं होनी चाहिए. साकेत कोर्ट के समक्ष दो फैसलों का जिक्र किया गया, जिसमें अलग-अलग मत व्यक्त किए गए थे. उसके बाद साकेत कोर्ट ने हाईकोर्ट से इस मामले को रेफरेंस के जरिए उत्तर जानना चाहा.