कुचामनसिटी: इस जमाने में जहां चारों और कंक्रीट के बने हुए घर हैं और गोबर व मिट्टी से बने कच्चे घर विलुप्त प्राय: होते जा रहे हैं. ऐसे में डीडवाना कुचामन जिले के एक शिक्षक आज भी पुरानी परंपरा को संजोए हुए हैं. इन्होंने अपना घर गाय के गोबर से बनाया है और परिवार सहित उसी में रहते हैं.
ये शिक्षक हैं कुचामनसिटी के बजरंग काटिया. काटिया एक कॉलेज में शिक्षक हैं. इनके घर में गोबर से लीपा हुआ आंगन और दीवारें हैं. छत भी कैलूपोश और चारे से बनी हुई है. घर में पुराने जमाने का चूल्हा है. परिवार आज भी चूल्हे पर बना खाना ही खाता है. लोग इसे 'बजरंग की कुटिया' कहते हैं. इस घर में घुसते ही राजस्थान की पारंपरिक संस्कृति और जीवन शैली की झलक मिलती है.
कुचामनसिटी में शिक्षक ने गाय के गोबर से बनाया इको फ्रेंडली घर (Video ETV Bharat Kuchamancity) पढ़ें: दीपावली पर गाय के गोबर से निर्मित दीये से जगमगाएंगे कई राज्य, कामधेनु थाली से होगी लक्ष्मी-गणेश की पूजा
उन्होंने बताया कि जब भी हमारे कॉलेज में कोई छोटे-मोटे कार्यक्रम होते हैं तो हम छात्राओं को इस घर में लेकर आते हैं और प्रतियोगिताएं करवाते हैं. काटिया ने कहा कि लोग बड़े-बड़े घर तो बना लेते हैं, लेकिन उन्हें उनमें इतना सुकून नहीं मिलता, जो सुकून हमारे इन पुराने घरों में है. चूल्हे पर बनी हुई सब्जी रोटी बहुत कम लोगों को मिलती है.
कुटिया में बने हैं राजस्थानी शैली के चित्र:कुटिया के भीतर दीवारों पर पारंपरिक राजस्थान की वॉरली शैली में सजावटी चित्र बने हैं. पूरा घर पारंपरिक कलाकृतियों और देशी साज-सज्जा से सुसज्जित है. शिक्षक काटिया बताते हैं कि मिट्टी की बनी कुटिया प्राकृतिक रूप से ठंडक प्रदान करती है, जिससे गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्माहट रहती है. उन्होंने बताया कि घर में मिट्टी के बर्तन है. उनकी पारंपरिक सजावट है. शिक्षक काटिया ने बताया कि उन्होंने यह घर देसी गाय के गोबर से बनाया है. यह पूरी तरह इको-फ्रेंडली और केमिकल फ्री है. इसमें मिट्टी, पत्थर और वेस्ट मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है.