भरतपुर:विश्व धरोहर सूची में शामिल केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अपनी जैव विविधता और पक्षियों की अद्वितीय प्रजातियों के लिए मशहूर है, लेकिन अब यह प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो रहा है. हाल ही में हुए एक दर्दनाक हादसे ने न केवल एक व्यक्ति की जान ले ली, बल्कि पर्यटकों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. खासकर, ई-रिक्शा संचालन में उम्र की सीमा तय न होने से यह समस्या और भी विकराल हो गई है. 31 दिसंबर को उद्यान में एक ई-रिक्शा पलटने से 74 वर्षीय चालक साजन सिंह की मौत हो गई, जबकि तीन पर्यटक गंभीर रूप से घायल हो गए. इस घटना ने प्रशासन की अनदेखी और प्रबंधन की खामियों को उजागर कर दिया है.
प्रशासन की खामोशी, हादसे का इंतजार? हादसे के बाद उद्यान निदेशक मानस सिंह ने चालकों की उम्र सीमा तय करने के लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भेजने की बात कही है. हालांकि कई होटल कारोबारियों और रिक्शा चालकों ने सवाल उठाए हैं कि इस दिशा में कदम पहले क्यों नहीं उठाए गए? क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा था?. रिक्शा चालकों ने सवाल उठाते हुए कहा कि हादसे के बाद उम्र सीमा तय करने का प्रस्ताव भेजने की बात कही जा रही है, लेकिन प्रशासन के अब तक के रवैये को देखते हुए यह सिर्फ औपचारिकता लगती है.