हजारीबाग: हजारीबाग को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. यहां कई मंदिर ऐसे हैं जो 500 साल से भी ज्यादा पुराने हैं. कुछ मंदिर महाभारत काल से भी जुड़े हैं. ऐसे में कई मान्यताएं भी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं. ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर है - बुढ़वा महादेव मंदिर.
सावन के महीने में हजारीबाग से लाखों लोग भगवान भोलेनाथ पर जल चढ़ाने देवघर के बाबा धाम जाते हैं. लेकिन सबसे पहले वे हजारीबाग के बुढ़वा महादेव मंदिर में जलाभिषेक करते हैं. इसके बाद ही उनकी धार्मिक यात्रा शुरू होती है. सिर्फ देवघर ही नहीं, अगर कोई भक्त किसी भी ज्योतिर्लिंग पर जाता है तो सबसे पहले बुढ़वा महादेव मंदिर में माथा टेकता है, तभी उसकी मनोकामना पूरी होती है.
400 साल पुराना है मंदिर
हजारीबाग का बुढ़वा महादेव मंदिर करीब 400 साल पुराना बताया जाता है. इसे शिवलोक भी कहा जाता है. मान्यता है कि जिसने भी इस मंदिर में जल चढ़ाया, उसकी मनोकामना पूरी होती है. सिर्फ सावन ही नहीं, यहां साल भर भक्त आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. अगर किसी व्यक्ति को महामृत्युंजय जाप करना होता है तो उसकी पहली प्राथमिकता बुढ़वा महादेव मंदिर होती है. यहां के लोग भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं. जिसके कारण जब भी कोई कोई शुभ कार्य शुरू करता है तो वे बुढ़वा महादेव का आशीर्वाद जरूर लेते हैं.
परिसर में स्थित हैं दो मंदिर