रांची:झारखंड विधानसभा चुनाव का मतदान संपन्न हो चुका है. कुछ घंटों के भीतर साफ हो जाएगा कि हेमंत सोरेन फिर सीएम बनेंगे या किसी और के सिर ताज सजेगा. सारा खेल इस बात पर निर्भर करेगा कि आधी आबादी की कृपा किसपर ज्यादा बरसी है. क्योंकि पूरे चुनाव के दौरान महिलाओं से जुड़ी दो योजनाएं छाई रहीं.
सीएम हेमंत के नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक ने मंईयां सम्मान योजना को जोर शोर से उठाया तो भाजपा भी पीछे नहीं रही. पार्टी ने गोगो दीदी योजना की घोषणा कर दी. भरोसा दिलाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार बनते ही महिलाओं को सम्मान राशि के तौर पर हर माह की 10 तारीख को 2,100 रु. दिए जाएंगे. इस योजना का जिक्र पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से लेकर तमाम बड़े नेताओं ने किया.
सीएम हेमंत का मंईयां सम्मान पर जोर
इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व कर रहे सीएम हेमंत सोरेन ने अपनी हर सभा में मंईयां सम्मान योजना का जिक्र किया. भरोसा दिलाया कि दोबारा सरकार बनते ही 1000 रु. प्रति माह मिलने वाली राशि को 2,500 रु. प्रति माह कर दिया जाएगा. इस योजना का लाभ 18 से 50 साल तक की महिलाओं को दिया जाता है. इस योजना पर सबसे ज्यादा फोकस गांडेय की झामुमो विधायक सह सीएम हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन ने किया.
उन्होंने अलग-अलग फेज में मंईयां सम्मान यात्रा भी निकाली. जवाब में भाजपा के सभी नेता 2019 के चुनाव के समय हेमंत के अधूरे वादों को गिनाते रहे. कहते रहे कि कैसे चूल्हा खर्चा के नाम पर हर माह 2000 रु. देने की बात कही थी. लेकिन नहीं दिया. अब मंईयां सम्मान के नाम पर महिलाओं को छल रहे हैं.
अब सवाल है कि क्या वाकई दोनों योजनाओं ने चुनाव पर असर डाला है. इसे समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार से बात की. उनके मुताबिक आम लोगों के बीच दोनों योजनाओं की कोई खास चर्चा नहीं थी. इस बात को लेकर नाराजगी जरुर थी कि कुछ महिलाओं के खाते में पैसे आए तो कुछ के खाते में नहीं. उन्होंने यह भी बताया कि मंईयां सम्मान योजना ने परंपरागत वोट पैटर्न पर असर डाला है, ऐसा नहीं दिखा. अलबत्ता जयराम महतो की कैंची ने एनडीए से ज्यादा इंडिया ब्लॉक को नुकसान पहुंचाया है.
वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का कहना है कि कैंची ने झामुमो के कोर वोटर्स (खासकर पिछड़े तबके के ग्रामीण) को तीर-धनुष नहीं दिखा तो उसने कैंची को अपना लिया. इसका असर आजसू पर भी पड़ा है. लेकिन आजसू के सिर्फ 10 सीटों पर चुनाव लड़ने की वजह से एनडीए को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. उनका यह भी मानना है कि इस चुनाव में हेमंत सोरेन के प्रति नाराजगी नहीं थी तो भाजपा के खिलाफ भी गुस्सा नहीं था. संथाल में करप्शन और रोजगार बड़ा मुद्दा था. संथाल के मुस्लिम बहुल इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ साइलेंट पोलराइजेशन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
भाजपा शासित प्रदेशों में आधी आबादी की योजना