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Jharkhand Election 2024: लोकतंत्र के पर्व पर आस्था का महापर्व डालेगा असर! क्या वोट प्रतिशत हो सकता है प्रभावित? क्या कहते हैं जानकार

विधानसभा चुनाव के बीच ही छठ महापर्व आने वाला है. इसके कारण वोटिंग प्रतिशत पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसे लेकर जानकारों से बात की गई.

Chhath Puja Impact on voting
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 30, 2024, 6:08 PM IST

रांची:झारखंड में लोकतंत्र के महापर्व की तैयारियां जोरशोर से चल रही है. सभी दलों के नेता वोट के लिए जनता के बीच पसीना बहा रहे हैं. आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर है. एनडीए ने माटी, रोटी, बेटी और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया है तो इंडिया ब्लॉक ने मंईयां सम्मान, सर्वजन पेंशन, ओबीसी आरक्षण और सरना धर्म कोड को. इन सबके बीच चुनाव आयोग वोट प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश में जुटा है. जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. अब सवाल है कि क्या इस बार वोट प्रतिशत बढ़ेगा? दरअसल, 13 नवंबर को पहले फेज में 43 सीटों पर चुनाव होना है. इसी दौरान लोक आस्था के महापर्व छठ की गहमागहमी रहेगी.

लोकतंत्र के पर्व पर आस्था के महापर्व का असर

दरअसल, छठ महापर्व 5 नवंबर से 8 नवंबर तक चलेगा. इस पर्व के समापन के चार दिन बाद 13 नवंबर को पहले फेज में 43 सीटों के लिए मतदान होना है. अब सवाल है कि क्या लोकतंत्र के पर्व पर लोक आस्था के महापर्व का असर पड़ सकता है.

इस पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी, रांची में जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. देवव्रत सिंह का कहना है कि फर्स्ट फेज के चुनाव के ठीक पहले दीपावली और छठ का त्यौहार है. इस दौरान खासकर शहरी क्षेत्रों के लोग अपने पैतृक ठिकानों की ओर मूव करते हैं. इसका असर अभी से दिखने भी लगा है. स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रहीं हैं. ट्रेनों में जबरदस्त भीड़ है. बाजार गुलजार हैं. लेकिन चुनाव का माहौल नहीं दिख रहा है.

उन्होंने कहा कि झारखंड की राजधानी रांची, धनबाद, जमशेदपुर और बोकारो ऐसे शहर हैं जहां की एक बड़ी आबादी बिहार और पड़ोसी राज्यों से कनेक्टेड है. जाहिर है कि छठ पर्व के दौरान लोगों के शिफ्ट होने से वोट प्रतिशत पर असर पड़ सकता है. ऊपर से छठ जैसे महत्वपूर्ण पर्व के एक-दो दिन बाद तक थकान वाली स्थिति रहती है. बहुत से लोग अपने पैतृक ठिकानों में जाकर कुछ दिन के लिए रुक जाते हैं.

हालांकि प्रोफेसर देवव्रत सिंह मानते हैं कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में पर्व की वजह से वोट प्रतिशत पर असर की संभावना कम है. क्योंकि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में आदिवासी और मूलवासी वास करते हैं. उनकी शिफ्टिंग की गुंजाईश नहीं है.

'त्यौहार के समय नहीं होने चाहिए थे चुनाव'

सामाजिक कार्यकर्ता वास्वी किड़ो का कहना है कि अभी चुनाव का समय था ही नहीं. त्यौहार के समय चुनाव होना ही नहीं चाहिए. जनता की सुविधाओं का ख्याल रखना चाहिए था. त्यौहार तो साल में एक बार आता है. दुर्गा पूजा के समय से ही लोग शिफ्ट करने लगते हैं. ऐसे में बहुत से लोग वोट देने से भी वंचित हो जाएंगे. दीपावली और छठ पर्व को लोग धूमधाम से मनाते है. छठ पर्व में तो हर समुदाय भागीदारी निभाता है. लेकिन यह कहना कि 8 नवंबर को ही छठ पर्व संपन्न हो जाएगा और लोग अपने मूल ठिकानों में लौट जाएंगे, यह कहना सही नहीं है. क्योंकि ट्रेनों में जगह मिलेगी तभी तो लोग लौटेंगे. ऊपर से छठ पर्व की व्यस्तता की वजह से प्रत्याशियों को लोगों से कनेक्ट करना मुश्किल हो रहा है. वह अपनी बात जनता तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता वास्वी किड़ो का कहना है कि गलत समय पर चुनाव होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग अपने वोट के अधिकार से वंचित होंगे. ऐसे में वोट प्रतिशत का प्रभावित होना तय है.

झारखंड में अबतक हुए चार चुनावों का वोट प्रतिशत

झारखंड राज्य बनने के बाद साल 2005 में विधानसभा का पहला चुनाव तीन चरण में फरवरी माह में संपन्न हुआ था. तब 57.03% वोटिंग हुई थी. दूसरा चुनाव 2009 में पांच चरण में 23 दिसंबर को संपन्न हुआ था. उस वक्त वोटिंग प्रतिशत 56.96% था. 2014 में तीसरी बार पांच फेज में वोटिंग और 23 दिसंबर को काउंटिंग हुई थी. लेकिन नक्सलवाद के चरण पर रहने के बावजूद 66.42% वोटिंग हुई थी. 2019 में पांच फेज के चुनाव के बाद 23 दिसंबर को रिजल्ट आया था. इस चुनाव में कुल 64.38% वोटिंग हुई थी.

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