कानपुर :आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के बनाए उपकरणों की मांग विदेशों में भी है.अब विशेषज्ञों ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारतीय सेना के लिए खास तरह का पहला स्वदेशी ड्रोन तैयार किया है. इसका नाम कामकाजी ड्रोन रखा गया है. इसकी मदद से सैनिक दुश्मन के टैंक, अन्य हथियारों व दुश्मनों को चिन्हित कर मिनटों में ही ढेर कर सकेंगे. आईआईटी कानपुर की लैब में ड्रोन की टेस्टिंग सफल रही है. सेना अगर इस ड्रोन का उपयोग करने के लिए तैयार होती है तो आने वाले 6 से 8 महीने में कामकाजी ड्रोन का ट्रायल भी पूरा कर लिया जाएगा.
आईआईटी कानपुर ने बनाया घातक ड्रोन. (Video Credit; ETV Bharat) दो किलोग्राम तक वजन ले जा सकेगा ड्रोन : लगभग ढाई साल के शोध कार्य के बाद आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में सेना को ध्यान में रखते हुए कामकाजी ड्रोन को तैयार किया गया है. आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर सुब्रमण्यम सैडरेला ने बताया कि ड्रोन में 2 किलोग्राम तक वजन ले जा सकते हैं. ड्रोन की रफ्तार 35 से 40 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. इसे बढ़ाकर 180 किलोमीटर प्रतिघंटा तक भी कर सकते हैं. अभी तक सेना के पास इस तरह का कोई ड्रोन नहीं है. इसकी मिनिमम रेंज 100 किमी तक है. स्पीड बढ़ाने पर इस रेंज में इजाफा भी होगा.
ढाई साल के शोध के बाद तैयार किया गया ड्रोन. (Photo Credit; ETV Bharat) पांच सालों में 1500 करोड़ रुपये का है लक्ष्य : ड्रोन की लागत पूछने पर प्रो.सुब्रण्यम सैडरेला ने बताया, कि एक ड्रोन की कीमत लाखों रुपये तक पहुंच जाती है. हालांकि हमने तय किया है हम आगामी 5 सालों में कामकाजी ड्रोन को लेकर 1500 करोड़ रुपये तक का कारोबार करेंगे. फिलहाल एक निश्चित लागत अभी तक तय नहीं की गई है. उन्होंने कहा, यह ड्रोन एक सुसाइड ड्रोन की तरह भी काम करेगा. दुश्मन को ढेर करने के बाद इसका पूरा कंट्रोल सेना या अन्य संचालनकर्ता के पास होगा. इससे वह आसानी से इसे नष्ट भी कर सकते हैं.
यह स्वदेशी ड्रोन कई खूबियों से भरपूर है. (Photo Credit; ETV Bharat) यह है ड्रोन की खासियत :कामकाजी ड्रोन एक चार्जेबल ड्रोन की तरह काम करेगा. एक बार चार्ज करने पर ड्रोन 3 से 4 घंटे तक लगातार उपयोग में रह सकता है. ड्रोन में इंफ्रारेड सेंसर व जीपीएस जैसी कई आधुनिक सुविधाएं होंगी. यह ड्रोन दुश्मन को बहुत पहले से ही चिन्हित तक उसकी सटीक लोकेशन बता देगा. दो किलोग्राम तक वजन ड्रोन में रखा जा सकता है. ड्रोन के उपयोग के दौरान किसी तरह का कोई साउंड नहीं होगा. ड्रोन से तस्वीरें और वीडियो भी मिल सकती है. वहीं कुछ दिनों पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस ड्रोन को आकर देख चुके हैं.
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