देहरादून:उत्तराखंड वन विभाग में आईएफएस अधिकारी का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन हर किसी को हैरान कर रहा है. आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन ने प्रमुख सचिव को वीआरएस के लिए पत्र लिखा है. जिस पर अभी कोई अंतिम फैसला तो नहीं लिया गया, लेकिन इस पत्र के चलते शासन की ओर से उन्हें दी गई चार्जशीट फिर सुर्खियों में आ गई है.
उत्तराखंड वन विभाग एक बार फिर चर्चाओं में है. इस बार वन विभाग में आईएफएस (भारतीय वन सेवा) अफसर मनोज चंद्रन का वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) आवेदन सुर्खियों में है. दरअसल, आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन ने 1 अक्टूबर को प्रमुख सचिव आरके सुधांशु को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से जुड़ा पत्र लिखा है. जिसे वन मुख्यालय ने शासन को 8 अक्टूबर को फॉरवर्ड किया. हालांकि, शासन को मिले वीआरएस का आवेदन होने के बाद अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने की वीआरएस मिलने की पुष्टी:इस मामले पर ईटीवी भारत ने प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु से बात की तो उन्होंने वीआरएस (VRS) आवेदन मिलने की पुष्टि की है. हालांकि, जब उनसे इस आवेदन के सापेक्ष वीआरएस के लिए अनुमति मिलने का सवाल किया गया तो उन्होंने इस पर अनुमति नहीं मिलने की बात कही. साथ ही संबंधित अधिकारी के चार्जशीट होने और इस पर जांच गतिमान होने की बात भी कही.
ईमानदार छवि के अफसर को नियम विरुद्ध प्रमोशन और नियमितीकरण पर दी गई चार्जशीट:आईएफएस (IFS) अधिकारी मनोज चंद्रन ईमानदार छवि के माने जाते हैं, लेकिन हाल ही में उन्हें नियम विरुद्ध प्रमोशन और नियमितीकरण करने के मामले में चार्जशीट दी गई है.
हालांकि, मनोज चंद्रन लगातार प्रमोशन और नियमितीकरण में किसी भी तरह की अनियमितता नहीं होने की बात कहते रहे हैं. आरोप है कि उनके मानव संसाधन में रहते हुए 504 पदों पर नियमितीकरण किया गया. इसके अलावा तय पदों से ज्यादा आरक्षियों को वन दरोगा पद पर प्रमोशन दिया गया.