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उत्तराखंड में अहम पदों पर नहीं हो पा रही पोस्टिंग, सचिव से लेकर ADM तक नहीं हो पाया होमवर्क

उत्तराखंड में कुछ जिले एडीएम और एसडीएम की तैनाती का इंतजार कर रहे हैं. अभी भी शासन स्तर से होमवर्क नहीं हो पाया है.

Uttarakhand Secretariat
उत्तराखंड सचिवालय (Photo-ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

देहरादून: प्रदेश में ऐसे कई विभाग हैं, जो बिना सचिव के चल रहे हैं. आईएएस अधिकारी विजय यादव के रिटायरमेंट के बाद से ही इन विभागों को सचिव पद पर कोई अधिकारी नहीं मिल पाई है. दरअसल, आईएएस अधिकारी विजय यादव अक्टूबर में रिटायर हो गए थे और उनके रिटायरमेंट के साथ ही गन्ना चीनी विभाग, सेवायोजन और कौशल विकास विभाग में किसी सचिव की तैनाती नहीं की जा सकी है. इतना ही नहीं उत्तरकाशी जिले के एडीएम रहे रजा अब्बास को जिले से हटाने के बाद किसी भी अधिकारी को उत्तरकाशी एडीएम के पद पर नहीं भेजा गया है.

उधर, दूसरी तरफ राजधानी देहरादून में एडीएम रामशरण को हटाने के बाद उनके बदले किसी भी अधिकारी को एडीएम के पद पर नहीं भेजा गया. खास बात यह है कि पिथौरागढ़ और चमोली समेत कई जिलों में एसडीएम के पदों पर भी अधिकारियों की जरूरत है. लेकिन यहां भी अधिकारियों की तैनाती नहीं हो पाई है. उत्तराखंड में आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर की चर्चाओं के बीच शासन ने कुछ आईएएस अधिकारियों की जिम्मेदारी में बदलाव भी किए हैं.

इसके तहत शासन स्तर पर सामान्य प्रशासन और प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी दीपेंद्र चौधरी से हटाकर अब विनोद कुमार सुमन को दे दी गई है.जबकि, विनोद कुमार सुमन से सचिव वित्त की जिम्मेदारी वापस ली गई है. इसके अलावा स्मार्ट सिटी की जिम्मेदारी देख रही सोनिका से इस जिम्मेदारी को वापस लेकर अब देहरादून जिलाधिकारी सविन बंसल को इसे सौंपा गया है. हालांकि, आमतौर पर स्मार्ट सिटी की जिम्मेदारी देहरादून जिलाधिकारी के पास ही रहती है और इसलिए इस बदलाव को किया गया है. इसी तरह मेलाधिकारी की जिम्मेदारी भी धीराज गर्ब्याल से हटकर हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह को दी गई है.

उधम सिंह नगर जिले के जिलाधिकारी उदयराज भी 30 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. लिहाजा 30 नवंबर को आईएएस अधिकारी समेत पीसीएस अधिकारियों के तबादले की सूची जारी हो सकती है. इस दौरान विभिन्न खाली पदों पर भी होमवर्क करते हुए तैनाती की जा सकती है.पर्वतीय जनपदों में तैनात अधिकारियों का भी इंतजार खत्म हो सकता है. दरअसल, कई अधिकारी लंबे समय से पर्वतीय जनपदों में तैनात है ऐसे में उन्हें मैदानी जनपदों में तैनाती दिए जाने पर भी विचार हो सकता है.
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