नई दिल्लीःदिल्ली के हुमायूं टॉम्ब परिसर में अंडरग्राउंड अत्याधुनिक म्यूजियम तैयार किया गया है, जो 2500 साल का इतिहास समेटे हुए हैं. यहां पर बाबर के समय से लेकर बहादुर शाह जफर के समय तक की ऐतिहासिक वस्तुएं म्यूजियम में संजोकर रखी गई है. 29 जुलाई को केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत उद्घाटन करेंगे. एक अगस्त से लोगों के लिए यह म्यूजियम खोला जाएगा.
10 साल में बनकर तैयार हुआ म्यूजियम: हुमायूं टॉम्ब और सुंदर नर्सरी के परिसर में अंडरग्राउंड इस म्यूजियम को बनाने के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) व आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चर ने करीब 10 साल का समय लिया है. आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चर के साथ काम करने वाली इतिहासकार अर्चना साद ने बताया कि हुमायूं ने 16वीं सदी के शुरू में किला बनवाया था. इस म्यूजियम में हुमायूं से लेकर सुंदर नर्सरी तक का इतिहास कवर किया गया है.
आधुनिक म्यूजियम में क्या-क्या है खास: इस आधुनिक म्यूजियम में हुमायूं टॉम्ब का मकबरे का असली कलस, 14वीं, 15वीं सदी के सामान, नेशनल म्यूजियम के कलेक्शन आदि यहां पर प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा म्यूजियम में 2500 साल में दिल्ली का इतिहास, विभिन्न कला, खगोलीय वस्तुएं, बाबर के समय से लेकर बहादुर शाह जफर तक के समय के सिक्के, बहादुर शाह जफर का सिंहासन, युद्ध में प्रयोग होने वाली वस्तुएं और हथियार आदि को लोग देख सकेंगे.
हुमायूं टॉम्ब परिसर में अंडरग्राउंड अत्याधुनिक म्यूजियम तैयार किया गया है. जो 2500 साल का इतिहास समेटे हुए है (ETV BHARAT) अकबर के समय के तीन ऐसे सिक्के मौजूद हैं, जिसके एक तरफ राम और दूसरी तरफ अल्लाहु अकबर जल्ला जलाल हू लिखा है. यहां पर 3-डी फिल्म के जरिए लोगों को 9 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई जाएगी. म्यूजियम में 100 सीट का ऑडिटोरियम बनाया गया है. हुमायूं का मकबरा, म्यूजियम और सुंदर नर्सरी के लिए एक ज्वाइंट टिकट लेने की भी व्यवस्था होगी. जिसकी कीमत 110 रुपये होगी.
एक घंटे में जानिए 2500 साल का इतिहा (etv bharat) जानिए हुमायूं टॉम्ब के बारे मेंः दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन क्षेत्र में हुमायूं टॉम्ब है. इसे हुमायूं का मकबरा भी कहा जाता है. इसके अंदर हुमायूं की कब्र सहित कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें बनी हैं. इस मकबरे को हुमायूं की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेश पर वर्ष 1562 में बनाया गया था. इस मकबरे को बनाने के लिए अफगानिस्तान के हेरात शहर से वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियासुद्दीन और उसके पिता मिराक घियाथुद्दीन को विशेष रूप से आए थे.
16वीं या 17वीं सदी का एक योद्धा का हेलमेट (ETV BHARAT) हुमायूं टॉम्ब विश्व धरोहर की लिस्ट में है शामिल: हुमायूं टॉम्ब को वर्ष 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया था. यहां रोजाना विदेशी पर्यटकों समेत हजारों के संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं. अब म्यूजियम खुलने से लोग यहां के इतिहास को भी जान सकेंगे. बता दें, 700 से अधिक कलाकृतियों और पांच बड़ी गैलरी में हुमायूं के जीवन और यात्रा की कहानी म्यूजियम में पता चलेगी.