मंडी: कुछ साल पहले जिस दो बीघा जमीन पर जंगली जानवरों के आतंक से किसान कुछ भी नहीं उगा पा रहे थे. आज उसी जमीन से मंडी जिला के छोटे से गांव दहड़ का एक परिवार सालाना लाखों रूपये कमा रहा है. प्रदेश सरकार की नीली क्रांति योजना ने इस परिवार की किस्मत बदली है. इस योजना के तहत इस परिवार ने कुछ साल पहले ट्राउट फिश फार्मिंग का व्यवसाय शुरू किया और यह परिवार अब इस व्यवसाय से सालाना 18 से 20 लाख रुपये कमा रहा है.
सफलता की यह कहानी है मंडी जिला की चच्योट तहसील के तहत पड़ने वाले दहड़ गांव निवासी नेत्र सिंह और उनके तीन बेटों की है. मछली उत्पादक नेत्र सिंह ने कहा, "पहले उनका पूरा परिवार खेती बाड़ी पर ही निर्भर था. फसल पर कभी मौसम की मार पड़ जाती तो कभी जंगली जानवर फसलों को बर्बाद कर देते थे. वर्ष 2018 में एक ट्राउट मछली पालक ने उनकी खड्ड किनारे बंजर भूमि होने पर ट्राउट मछली पालन करने की सलाह दी. जिसके बाद उन्होंने मत्स्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया और नीली क्रांति योजना के तहत ट्राउट मछली पालन के लिए अनुदान प्राप्त कर कार्य शुरू किया".
ट्राउट फिश फार्मिंग (ETV Bharat) मछली उत्पादक नेत्र सिंह ने कहा, "इस व्यवसाय में उन्होंने अपने तीनों बेटों को भी साथ में लिया और 30 लाख रुपये व्यय कर 12 ट्राउट रेसवेज का निर्माण कर लिया. इसके निर्माण के लिए उनको 11.60 लाख रुपये का अनुदान भी मत्स्य विभाग द्वारा दिया गया. आज वे बड़ी शान अपने तीनों बेटों के साथ ट्राउट फिश फार्मिंग के व्यवसाय को कर रहे हैं और साल का 18-20 लाख आसानी से कमा रहे हैं. फिश फार्मिंग के दौरान यदि कोई समस्या आ जाए तो मत्स्य विभाग के अधिकारी तुरंत उनकी मदद भी करते हैं. बाजार में इस मछली की उन्हें 600 से 700 रुपये प्रति किलो कीमत मिल रही है".
ट्राउट फिश फार्मिंग (ETV Bharat) मत्स्य पालक नेत्र सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का लाभ लेते हुए उन्होंने हाल ही में 30 लाख की लागत से मछली यूनिट भी स्थापित कर लिया है. जिसमें उन्हें सरकार की ओर से 12 लाख अनुदान मिला है. वर्तमान में वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही क्षेत्र के अन्य ट्राउट मछली पालकों को भी सस्ती दरों पर गुणवत्तायुक्त मछली आहार उपलब्ध करवा रहे हैं. जिससे वे अब आने वाले समय में आसानी से मछली उत्पादन के साथ 25 लाख रुपये कमा सकते हैं".
ट्राउट फिश फार्मिंग से होगी सालाना लाखों की कमाई (ETV Bharat) वहीं, मछली उत्पादक बीर सिंह ने कहा, "उनकी ट्राउट मछलियों ने हिमाचल के अलावा लुधियाना, चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक भी पहुंच बना ली है. बाजार में ट्राउट मछली की इतनी मांग है कि वह इसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं. इस मछली पालन से ही उन्होंने आज अपनी गाड़ी भी खरीद ली है और इसी गाड़ी से बाजार में मछली की सप्लाई पहुंचाई जा रही है. उनके ट्राउट मछली पालन से और लोग जुड़ जाएं तो परिवहन लागत कम होने से सभी के लिए मुनाफे का सौदा हो सकता है".
ट्राउट फिश फार्मिंग से मछली पालकों की चमकी किस्मत (ETV Bharat) मंडी में 96 परिवार मत्स्य पालन से कमा रहे अच्छा मुनाफा
वहीं, मंडी मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक नीतू सिंह ने कहा, "राज्य योजना के तहत मछली पालन के लिए तालाब निर्माण एवं प्रथम वर्ष में सहायता प्रदान करने के लिये 12.4 लाख प्रति हेक्टेयर पर 80 प्रतिशत अनुदान के रूप में प्रदान किया जाता है. मंडी जिला में इस वित्तीय वर्ष में अब तक 763 नदीय मछुआरों ने मछली पकड़ने हेतु लाइसेंस लिए हैं. जिला में 96 परिवार मत्स्य पालन का कार्य कर रहे हैं और अच्छे मुनाफा कमा रहे हैं".
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