ETV Bharat / state

ये कैसा स्कूल! पशुओं के बीच पढ़ाई कर रहे छात्र, 'भेड़-बकरियों' की तरह एक कमरे में चल रही बच्चों की क्लास - GOVERNMENT SCHOOL SHATYAUGI KULLU

कुल्लू में एक ऐसा स्कूल है जिसका अपना कोई भवन ही नहीं है. यहां 18 बच्चे पशुओं के बीच शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

सामुदायिक भवन में चल रहा स्कूल और पशु अस्पताल
सामुदायिक भवन में चल रहा स्कूल और पशु अस्पताल (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

कुल्लू: एक तरफ जहां हिमाचल के सरकारी स्कूल में छात्रों के दाखिले में कमी चिंता का कारण है. दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है. सरकारें स्मार्ट क्लास रूम बनाने की बात करती है. स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब बनाने की शुरुआत देश में की गई, लेकिन धरातल पर झांके तो आज भी ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का आधारभूत ढांचा जर्जर ही नजर आता है. बस यहां स्कूल के नाम का फट्टा जरूर है, लेकिन स्कूल जैसा यहां कुछ भी नहीं है.

आज भी ग्रामीण इलाको में शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्रों को कई दिक्कत का सामना करना पड़ता है. जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार की ग्राम पंचायत पलाहच में स्थित राजकीय माध्यमिक पाठशाला शट याउगी 8 सालों से अपने नए भवन का इंतजार कर रहा है. स्कूल का अपना भवन न होने के चलते छात्रों को मजबूरी में गांव के सामुदायिक भवन में शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. सामुदायिक भवन में भी मात्र दो ही कमरे हैं. एक कमरे में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं तो दूसरे कमरे में पशुओं का इलाज किया जा रहा है. 8 सालों से भवन की राह देख रहे अभिभावक भी अब अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित करने का मन बना चुके हैं. कुछ बच्चे स्कूल छोड़कर निजी स्कूलों में भी प्रवेश ले चुके हैं. अगर जल्द ही स्कूल का नया भवन नहीं बना तो हो सकता है कि आने वाले सत्र में यहां पर बच्चे ही ना रहें.

एक कमरे में पशु चिकित्सालय दूसरे में स्कूल

पलाहच पंचायत के शटयाउगी गांव में सरकार के बेहतर शिक्षा मुहैया करवाने के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं. यहां सरकारी स्कूल तो है बच्चे भी हैं, लेकिन नहीं है तो सिर्फ स्कूल का भवन. गांव के समुदायिक भवन के दो कमरों हैं. एक कमरे में पशु पालन विभाग का चिकित्सालय है और दूसरे कमरे में पाठशाला में पढ़ रहे 18 बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. पाठशाला को इस भवन में स्थानांतरित किए हुए आठ साल हो चुके हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण नए भवन का निर्माण फाइलों में ही चल रहा है.

2016 में क्षतिग्रस्त हो गया था स्कूल का भवन

गौर रहे कि 2016 में गोलाहधार-रम्बी सड़क निर्माण के चलते पहाड़ी से लगातार मलबा गिर रहा था. स्कूल का शौचालय भी क्षतिग्रस्त हो गया था. स्कूल भवन सहित 20 घरों को खतरा पैदा हो गया. ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा इस बारे शिक्षा विभाग को सूचित किया गया. शिक्षा विभाग की टीम ने मौके पर स्कूल का निरीक्षण किया तो पाया गया कि यह भवन पूरी तरह से असुरक्षित है और यहां पर शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को भी खतरा हो सकता है. आनन फानन में बच्चों को गांव के सामुदायिक भवन में शिफ्ट किया गया और अब 8 साल बीत जाने के बाद भी ये स्कूल यहां ही है.

अभिभावकों ने की स्कूल भवन के निर्माम की मांग

स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों के अभिभावक प्रेम सिंह, नूप राम, नीरत सिंह, आलम चंद, मोती राम, कांता देवी और सत्या देवी ने बताया कि, 'इस बारे स्थानीय पंचायत और ग्रामीणों ने भी शिक्षा विभाग को अवगत करवाया कि यहां पर जल्द स्कूल का भवन तैयार किया जाना चाहिए. शिक्षा विभाग के अधिकारी हर बार भवन निर्माण की प्रक्रिया को पूरी करने की बात कहते हैं, लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. शौचालय न होने के चलते सभी बच्चों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है, जिसके चलते यहां पर स्वच्छता अभियान पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह जल्द से जल्द नए भवन बनाने की प्रक्रिया को शुरू करें, ताकि छात्र अपने स्कूल भवन में अच्छे से शिक्षा हासिल कर सकें.'

स्थानीय ग्रामीण राकेश शर्मा, चुन्नीलाल का कहना है कि, ' यहां लगभग पांच गांवों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. सामुदायिक भवन के बाहर न तो बच्चों के लिए मैदान की व्यवस्था है और एक कमरे में ही पांच कक्षाओं को चलाना भी काफी मुश्किल है. ऐसे में बच्चों के खेलने की भी उचित व्यवस्था नहीं है. अब यहां बच्चों की संख्या भी कम होती जा रही है. शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह इस दिशा में जल्द कदम उठाए और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए नए भवन का निर्माण जल्द किया जाए.

ग्रामीण कर रहे स्कूल का भवन बनाने की मांग
ग्रामीण कर रहे स्कूल का भवन बनाने की मांग (ETV BHARAT)

वही, घाटी के सेवानिवृत अधिकारी हेमराज शर्मा, अमर शर्मा का कहना है कि, 'सरकार एक और तो प्रदेश में विकास की बात करती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों' में बच्चों के आधारभूत शिक्षा व्यवस्था को भी सही नहीं कर पा रही है. अगर बच्चों को शिक्षा ही नहीं मिलेगी तो वो किस तरह से अपना और देश का भविष्य संवार पाएंगे. 8 साल तक शिक्षा विभाग के द्वारा भवन के निर्माण की फाइलों को कागज पर ही दौड़ाया गया. ऐसे में अब शिक्षा विभाग को इस मामले में तेजी लानी चाहिए, ताकि जल्द से जल्द यह भवन का निर्माण कार्य पूरा हो सके.

'भवन निर्माण के लिए 30 लाख रूपये की राशि स्वीकृत'

वहीं, बंजार के खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी चंदे राम ने बताया कि, 'स्कूल के भवन निर्माण के लिए जमीन फाइनल नहीं हो पा रही थी, लेकिन अब विभाग ने भवन निर्माण के लिए जमीन को फाइनल कर दिया है. इसके लिए 30 लाख की राशि भी स्वीकृत हो चुकी है. अब जल्द ही स्कूल का नया भवन तैयार किया जाएगा, ताकि यहां पर छात्रों को बेहतर तरीके से शिक्षा मिल सके.'

ये भी पढ़ें: हिमाचल के लिए चिंता की बात, सरकारी स्कूलों में घटी बच्चों की एडमिशन, निजी स्कूलों की तरफ पेरेंट्स का रुझान

कुल्लू: एक तरफ जहां हिमाचल के सरकारी स्कूल में छात्रों के दाखिले में कमी चिंता का कारण है. दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है. सरकारें स्मार्ट क्लास रूम बनाने की बात करती है. स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब बनाने की शुरुआत देश में की गई, लेकिन धरातल पर झांके तो आज भी ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का आधारभूत ढांचा जर्जर ही नजर आता है. बस यहां स्कूल के नाम का फट्टा जरूर है, लेकिन स्कूल जैसा यहां कुछ भी नहीं है.

आज भी ग्रामीण इलाको में शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्रों को कई दिक्कत का सामना करना पड़ता है. जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार की ग्राम पंचायत पलाहच में स्थित राजकीय माध्यमिक पाठशाला शट याउगी 8 सालों से अपने नए भवन का इंतजार कर रहा है. स्कूल का अपना भवन न होने के चलते छात्रों को मजबूरी में गांव के सामुदायिक भवन में शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. सामुदायिक भवन में भी मात्र दो ही कमरे हैं. एक कमरे में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं तो दूसरे कमरे में पशुओं का इलाज किया जा रहा है. 8 सालों से भवन की राह देख रहे अभिभावक भी अब अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित करने का मन बना चुके हैं. कुछ बच्चे स्कूल छोड़कर निजी स्कूलों में भी प्रवेश ले चुके हैं. अगर जल्द ही स्कूल का नया भवन नहीं बना तो हो सकता है कि आने वाले सत्र में यहां पर बच्चे ही ना रहें.

एक कमरे में पशु चिकित्सालय दूसरे में स्कूल

पलाहच पंचायत के शटयाउगी गांव में सरकार के बेहतर शिक्षा मुहैया करवाने के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं. यहां सरकारी स्कूल तो है बच्चे भी हैं, लेकिन नहीं है तो सिर्फ स्कूल का भवन. गांव के समुदायिक भवन के दो कमरों हैं. एक कमरे में पशु पालन विभाग का चिकित्सालय है और दूसरे कमरे में पाठशाला में पढ़ रहे 18 बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. पाठशाला को इस भवन में स्थानांतरित किए हुए आठ साल हो चुके हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण नए भवन का निर्माण फाइलों में ही चल रहा है.

2016 में क्षतिग्रस्त हो गया था स्कूल का भवन

गौर रहे कि 2016 में गोलाहधार-रम्बी सड़क निर्माण के चलते पहाड़ी से लगातार मलबा गिर रहा था. स्कूल का शौचालय भी क्षतिग्रस्त हो गया था. स्कूल भवन सहित 20 घरों को खतरा पैदा हो गया. ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा इस बारे शिक्षा विभाग को सूचित किया गया. शिक्षा विभाग की टीम ने मौके पर स्कूल का निरीक्षण किया तो पाया गया कि यह भवन पूरी तरह से असुरक्षित है और यहां पर शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को भी खतरा हो सकता है. आनन फानन में बच्चों को गांव के सामुदायिक भवन में शिफ्ट किया गया और अब 8 साल बीत जाने के बाद भी ये स्कूल यहां ही है.

अभिभावकों ने की स्कूल भवन के निर्माम की मांग

स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों के अभिभावक प्रेम सिंह, नूप राम, नीरत सिंह, आलम चंद, मोती राम, कांता देवी और सत्या देवी ने बताया कि, 'इस बारे स्थानीय पंचायत और ग्रामीणों ने भी शिक्षा विभाग को अवगत करवाया कि यहां पर जल्द स्कूल का भवन तैयार किया जाना चाहिए. शिक्षा विभाग के अधिकारी हर बार भवन निर्माण की प्रक्रिया को पूरी करने की बात कहते हैं, लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. शौचालय न होने के चलते सभी बच्चों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है, जिसके चलते यहां पर स्वच्छता अभियान पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह जल्द से जल्द नए भवन बनाने की प्रक्रिया को शुरू करें, ताकि छात्र अपने स्कूल भवन में अच्छे से शिक्षा हासिल कर सकें.'

स्थानीय ग्रामीण राकेश शर्मा, चुन्नीलाल का कहना है कि, ' यहां लगभग पांच गांवों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. सामुदायिक भवन के बाहर न तो बच्चों के लिए मैदान की व्यवस्था है और एक कमरे में ही पांच कक्षाओं को चलाना भी काफी मुश्किल है. ऐसे में बच्चों के खेलने की भी उचित व्यवस्था नहीं है. अब यहां बच्चों की संख्या भी कम होती जा रही है. शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह इस दिशा में जल्द कदम उठाए और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए नए भवन का निर्माण जल्द किया जाए.

ग्रामीण कर रहे स्कूल का भवन बनाने की मांग
ग्रामीण कर रहे स्कूल का भवन बनाने की मांग (ETV BHARAT)

वही, घाटी के सेवानिवृत अधिकारी हेमराज शर्मा, अमर शर्मा का कहना है कि, 'सरकार एक और तो प्रदेश में विकास की बात करती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों' में बच्चों के आधारभूत शिक्षा व्यवस्था को भी सही नहीं कर पा रही है. अगर बच्चों को शिक्षा ही नहीं मिलेगी तो वो किस तरह से अपना और देश का भविष्य संवार पाएंगे. 8 साल तक शिक्षा विभाग के द्वारा भवन के निर्माण की फाइलों को कागज पर ही दौड़ाया गया. ऐसे में अब शिक्षा विभाग को इस मामले में तेजी लानी चाहिए, ताकि जल्द से जल्द यह भवन का निर्माण कार्य पूरा हो सके.

'भवन निर्माण के लिए 30 लाख रूपये की राशि स्वीकृत'

वहीं, बंजार के खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी चंदे राम ने बताया कि, 'स्कूल के भवन निर्माण के लिए जमीन फाइनल नहीं हो पा रही थी, लेकिन अब विभाग ने भवन निर्माण के लिए जमीन को फाइनल कर दिया है. इसके लिए 30 लाख की राशि भी स्वीकृत हो चुकी है. अब जल्द ही स्कूल का नया भवन तैयार किया जाएगा, ताकि यहां पर छात्रों को बेहतर तरीके से शिक्षा मिल सके.'

ये भी पढ़ें: हिमाचल के लिए चिंता की बात, सरकारी स्कूलों में घटी बच्चों की एडमिशन, निजी स्कूलों की तरफ पेरेंट्स का रुझान

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.