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मिलावटी सरसों तेल और मिर्च-मसाले, फास्टफूड खा रहे हैं तो हो जाएं सावधान, पित्त की थैली में पथरी-कैंसर का खतरा - Gallbladder Cancer

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 24, 2024, 7:41 PM IST

गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज ने पित्त की थैली में पथरी और कैंसर होने के कारणों का पता लगाया है. इसके साथ ही इससे बचाव का तरीका भी ढूंढ निकाला है. आइए जानते हैं कि इस बीमारी से कैसे बचें और इलाज कैसे कराएं.

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GALLBLADDER STONE TREATMENT (Etv Bharat)

गोरखपुरः अत्यधिक तेल, मिर्च, मसाला और फास्टफूड पित्त की थैली में पथरी का कारण बन रहा है. यह पथरी कैंसर जैसी बीमारी को भी जन्म दे रही है. जैसे ही पित्त की थैली में पथरी की जानकारी हो उसका ऑपरेशन करा लेना ही उचित है. यह बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर अभिषेक जीना का कहना है. जिसको उन्होंने एक अध्ययन के परिणाम स्वरूप बयां किया है. उन्होंने कहा है कि खान-पान के अलावा दूषित पानी के सेवन से भी बचना जरूरी है.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर अभिषेक जीना ने दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

80 फीसदी कैंसर का कारण पित्त की थैली की पथरीःडॉ. अभिषेक जीना ने बताया कि एक वर्ष में 197 मामले पित्त (गॉलब्लैड) की थैली में कैंसर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आ चुके हैं. इन आंकड़ों की गणित बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है. गॉलब्लैडर जिसे पित्त की थैली कहते हैं, उसमें बनने वाली पथरी और दूषित पानी कैंसर को जन्म दे रहा है. 80% रोगियों के कैंसर का कारण पित्त की थैली में बन रही पथरी है. महिलाओं में यह समस्या ज्यादा मिल रहा है.

80 फीसदी युवा गालब्लैडर कैंसर के शिकारःडॉ. अभिषेक जीना ने बताया कि पथरी बनने का मुख्य कारण अत्यधिक तेल मिर्च मसाला और फास्टफूड है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज सर्जरी विभाग में एक साल में करीब 500 रोगी पेट दर्द खासकर पेट के ऊपर हिस्से में हल्का दर्द और पीलिया की शिकायत लेकर पहुंचे थे. जांच के बाद इनमें से 197 में गालब्लैडर कैंसर मिला है. इसमें 51 पुरुष और 146 महिलाएं शामिल हैं. इनमें ज्यादातर महिलाओं को दो से अधिक बच्चे भी हैं. सर्वाधिक रोगियों की उम्र 38 से 50 वर्ष के बीच रही है. इसमें एक 18 साल की लड़की भी है. 80% रोगियों की उम्र 31 वर्ष से 50 वर्ष के बीच है.

ग्रामीण और गरीब लोग अधिक शिकारःडॉ. जीना के अनुसार रोगियों में सर्वाधिक संख्या गांव के लोगों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की थी. इनमें से ज्यादातर लोग अत्यधिक तेल, मिर्च मसाला और दूषित पानी का सेवन करने वाले थे. इस अध्ययन को "जनरल आफ इवोल्यूशन मेडिकल एंड डेंटल साइंसेज" ने प्रकाशित किया है. वहीं, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पहुंचने वाले कैंसर रोगियों के प्रतिशत में बात करें तो मुंह और गले का कैंसर करीब 21.4%, बच्चेदानी के मुंह का कैंसर 16.3%, गालब्लैडर का कैंसर 9.3 प्रतिशत तो कैंसर फेफड़ों का कैंसर 4.1 प्रतिशत रहा है.

खुले में बिकने वाला सारसों तेल हानिकारकःडॉक्टर जीना ने कहा है शुद्ध पानी के सेवन से पित्त के थैली में होने वाली पथरी और कैंसर से कमी लाई जा सकती है. हर घर में प्रयोग किये जाने वाले सारसों के तेल भी इसके कारण बन रहे हैं. खुले में बिकने वाला सारसों तेल और भी हानिकारक है. उन्होंने कहा कि मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी का तेल प्रयोग में लाने पर इस गम्भीर समस्या से बचा जा सकता है. साथ ही पेट दर्द को नजरअंदाज करना नहीं चाहिए. योग्य चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें.

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