सोनार किले की एक दीवार और अब मकान गिरने से दुर्गवासी भयभीत (ETV Bharat Jaisalmer) जैसलमेर: पर्यटन नगरी जैसलमेर में एक बार फिर से सोनार दुर्ग के कुंडा पाड़ा में स्थित एक खाली मकान की छत अचनाक गिरने से हड़कंप मच गया. बारिश के बाद लगातार जर्जर आशियाने लोगों के लिए खतरा बना हुआ है. इसके चलते दुर्गवासियों ने किले के गेट बंद करने की चेतावनी दी है.
दरअसल, कुछ दिन पहले सोनार किले की एक दिवार गिरी थी. वहीं गुरुवार को सोनार दुर्ग के कुण्डा पाड़ा में बंद हवेली की छत भरभराकर गिर गई. छत गिरने से दुर्गवासी घर से बाहर निकले. सूचना मिलने पर कोतवाली पुलिस और पुरातत्व विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे. आसपास के क्षेत्र को बंद कर दिया गया है. दुर्गवासियों ने पुलिस को अपनी पीड़ सुनाई. वहीं किलेवासियों में रोष देखने को मिला.
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जैसलमेर के सोनार किले में 30 से ज्यादा बंद जर्जर मकानों को खतरा है. बारिश के दौरान कई मकानों का मलबा अंदर के हिस्सों में गिर चुका है. हर साल नगर परिषद उनके मकान मालिकों को नोटिस जारी कर उन्हें हटाने के आदेश देता है. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस वजह से सोनार किले में कई हादसे भी हो चुके हैं. हाल ही आई भारी बारिश के बाद एक मकान की दीवार भी गिर चुकी है. इसके साथ ही किले की भी दीवार ढह चुकी है.
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ऐसे में इन मकानों के पास में रहने वाले पड़ोसी दहशत के साए में हैं. अब सोनार दुर्गवासियों ने जिले प्रसाशन को चेतावनी दी है कि तीन दिन होने के बाद अधिकारी सुध लेने नहीं पहुंचे हैं. यदि समय रहते समाधान नहीं होता है, तो सोनार दुर्ग के गेट बंद कर धरना दिया जाएगा. जिले में घूमने आने वाले पर्यटकों को घूमने के रोक देंगे.
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100 से ज्यादा मकान हैं सोनार किले में: दरअसल जैसलमेर का सोनार 868 साल पुराना है. सोनार दुर्ग में नगर परिषद के 2 वार्ड हैं. शहर की आधी आबादी किले में ही निवास करती है. इसलिए इसे लिविंग फोर्ट भी कहते हैं. सोनार दुर्ग को युनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट में भी शामिल किया गया है. इस किले का संरक्षण भारतीय पुरातत्व विभाग करती है. ऐसे में इस किले में किसी भी तरह के निर्माण आदि पर रोक है.
किले में निवास करने वाले कई परिवार पलायन कर बाहरी राज्यों में बस चुके हैं. ऐसे में उनके मकान जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं, जो अन्य लोगों के लिए खतरे की घंटी बन गए हैं. कई बार जर्जर मकान गिरे हैं और नुकसान हुआ है. नगर परिषद मकान के बाहर नोटिस चिपका देती है क्योंकि इनके असल मालिक कभी यहां लौटे ही नहीं, ना ही उनकी कोई जानकारी है. ऐसे में कार्रवाई करना भी गैर-कानूनी हो जाता है. लेकिन इन सबके बीच इन मकानों के पास रहने वाले लोग बारिश के दिनों में खतरे के साए में जीते हैं.