मथुरा : ब्रज के मंदिरों में होली की तैयारियों की झलक देखने को मिलन लगी है. कई मंदिरों में गीत गातीं होरियारों की टोलियों की जमघट लग रही है. होली के रसिया गीतों पर लोग थिरकते हुए देखे जा सकते हैं. ब्रज में होली का त्योहार बसंत पंचमी से शुरू होकर पूरे 40 दिनों तक चलता है. शहर के पुष्टिमार्ग संप्रदाय द्वारकाधीश मंदिर में होली के रंग उड़ने लगे हैं. द्वारकाधीश पुष्टिमार्ग संप्रदाय का प्राचीन मंदिर है. यहां बाल स्वरूप में ठाकुर जी की सेवा की जाती है. फाल्गुन शुरू होने के बाद बसंत पंचमी के दिन से मंदिर में ठाकुर जी को गुलाल लगाकर पूरे प्रांगण में गुलाल उड़ाया जाता है. इस अवसर पर दूरदराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं और होली के रसिया गीतों पर थिरकते हैं.
18 मार्च को बरसाना में लठ्ठमार होली :वैसे तो मथुरा की होली देश-विदेश में विख्यात है. राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना में 18 मार्च को लठ्ठमार होली खेली जाती है. यहां दूर दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. बरसाना और नंदगाव में लठ्ठमार होली को लेकर प्रशासन तैयारियां कर रहा है. 17 मार्च को नंदगाव से होरियारे पारंपरिक परिधान पहन कर बरसाना पहुंचते हैं और राधा रानी मंदिर में जाकर होली गायन के बाद अगले दिन लठ्ठमार होली खेलने का निमंत्रण दिया जाता है. बरसाना के लोग नंदगाव का निमंत्रण स्वीकार करने के बाद लड्डू होली भी खेली जाती है. इस दौरान क्विंटलों की तादाद में लड्डू श्रद्धालुओं पर बरसाए जाते हैं.
बसंत पंचमी से प्रारंभ होती है होली :सब जग होरी ब्रज होरा, पूरे देश में होली खेली जाती है जबकि मथुरा में होरा खेला जाता है और पूरे 40 दिनों तक होली का आनंद ब्रज में बरसता है. वृंदावन बांके बिहारी मंदिर श्री कृष्ण जन्म स्थान द्वारकाधीश मंदिर राधारमण प्रेम मंदिर और इस्कॉन टेंपल में हर रोज सुबह ठाकुर जी को गुलाल लगाकर होली खेली जा रही है. गौरी गर्ग ने बताया कि द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन करने के साथ-साथ होली का आनंद भी लिया. मथुरा में होली कई दिनों तक खेली जाती है. मथुरा की होली की बात ही निराली है.