प्रयागराज: महाकुंभ में एक तरफ से जहां बड़ी बड़ी लग्जरी गाड़ियों से घूमते हुए बाबा नजर आते हैं. वहीं पर साइकिल वाले बाबा लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हुए हैं. बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले ये बाबा साइकिल से ही चलते हैं. साइकिल से ही उन्होंने कई राज्यों में जाकर मंदिरों में दर्शन पूजन किया है. महाकुंभ मेला में भी वो साइकिल से ही पहुंचे हैं. विश्वकल्याण के साथ सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए वो लगातार मेला क्षेत्र में साइकिल से ही परिक्रमा करते नजर आ जाते हैं. अब साइकिल वाले बाबा के नाम से वो मशहूर हो गए हैं. सड़क चलते हुए लोग उन्हें रोककर न सिर्फ उनका आशीर्वाद लेते हैं, बल्कि उनके साथ सेल्फी भी क्लिक करते हैं.
संपत दास रामानंद ब्रह्मचारी साइकिल वाले बाबा: संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत होनी है. महापर्व की शुरुआत से पहले देश विदेश तक सनातन धर्म से जुड़े हुए साधु संत और नागा सन्यासी मेले में पहुंचने लगे हैं. महाकुंभ मेला क्षेत्र में देश के अलग-अलग हिस्सों से आये हुए साधु सन्यासी राजसी वैभव के साथ दिखते हैं. लेकिन, इसी मेला में एक ऐसे महात्मा भी आये हुए हैं, जो अपनी सादगी के कारण चारों तरफ चर्चा का विषय बन गए हैं. मेला क्षेत्र लाखों की कीमत वाली लग्जरी गाड़ियों से घूमने वाले हजारों संत महात्मा दिख रहे हैं, जो अपने अलग अलग कार्यो के लिए गाड़ियों से चलते हुए दिखते हैं.
वहीं, बिहार के औरंगाबाद जिले से आये हुए संपत दास रामानंद ब्रह्मचारी साइकिल वाले बाबा के नाम से विख्यात हो रहे हैं. वो महाकुंभ मेले में बनायी गयी चकर्ड प्लेट वाली सड़कों पर अपनी साइकिल को ही अपना रथ मानकर उससे फर्राटा भरते हुए दिख जाते हैं. साइकिल से चलने के कारण ही संपत दास रामानंद ब्रह्मचारी अब अपने नाम की जगह पर साइकिल वाले बाबा के नाम से लोकप्रिय हो रहे हैं.
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साइकिल वाले बाबा को रोककर लोग लेते हैं सेल्फी : महाकुंभ में साइकिल पर तैयार किए गए रथ से बाबा संपत दास रामानुज ब्रह्मचारी घूमते रहते हैं. वह जिस ओर से निकल जाते हैं, उन्हें लोगों की भीड़ घेर लेती है. उनके साथ फोटो और सेल्फी खिंचवाते हैं. वहीं, साइकिल वाले बाबा भी लोगों को आशीर्वाद देने के साथ ही उनके साथ सेल्फी भी खिंचवाकर आशीष देते हैं.
साइकिल को रथ बनाकर उसी से करते हैं भ्रमण: बिहार के औरंगाबाद में रहने वाले संपत दास रामानंद ब्रह्मचारी ने अपनी साइकिल को रथ की तरह सजाया हुआ है. साइकिल में चारों तरफ से देवी देवताओं की तस्वीरों वाले ध्वज लगे हुए हैं. इसके साथ ही सनातन धर्म का प्रतीक चिन्ह माना जाने वाला भगवा ध्वज भी लगा हुआ है. उन्होंने बताया कि पिछले साल सावन माह से उन्होंने साइकिल को रथ मानकर उसी से देश भर में भ्रमण कर सिद्ध पीठ शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने का सिलसिला शुरू दिया है. अब तक वह औरंगाबाद से चलकर देवघर, कोलेश्वरी पहाड़ और गुप्तधाम की यात्रा कर चुके हैं.
इसके साथ ही मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल, सतना में मैहर और बागेश्वर धाम की यात्रा कर दर्शन पूजन कर चुके हैं. अब उन्होंने अपनी साइकिल के प्रयागराज के महाकुंभ क्षेत्र में आकर डेरा डाल दिया है. डेढ़ महीने तक मेला क्षेत्र में रहने के बाद वो अपनी साइकिल से आगे की यात्रा पर निकल पड़ेंगे. उनका कहना है कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने और सनातन धर्म को मजबूत करने का उन्होंने संकल्प लिया है. उसी की पूर्ति के लिए वो साइकिल से धर्म यात्रा पर निकले हुए हैं.
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