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आखिर क्या है सीएम योगी की 'राख होली' का महत्व, हर साल क्यों निभाते हैं ये परंपरा - CM YOGI HOLI - CM YOGI HOLI

गोरखनाथ मंदिर परिसर में CM योगी साधु संतों के साथ वहां पहुंचते हैं. वहां की राख से एक दूसरे को तिलक लगाया जाता है. फिर यहीं राख उड़ाकर होली की शुरुआत भी होती है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 23, 2024, 4:39 PM IST

गोरखपुर:यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की होली (Holi) की शुरुआत "राख की होली" के साथ होती है. गोरखनाथ मंदिर परिसर में जिस स्थान पर होलिका दहन होता है. उस स्थान पर सीएम योगी अपने मंदिर के पुजारी और साधु संतों के साथ पहुंचते हैं. वहां की राख से एक दूसरे को तिलक लगाया जाता है. फिर यहीं राख उड़ाकर होली की शुरुआत भी होती है. इसके बाद मंदिर में अबीर-गुलाल का दौर चलता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व में घंटाघर से निकलने वाली नरसिंह भगवान की शोभायात्रा में सीएम योगी शामिल होने के लिए पहुंचते हैं.


इसी दिन भगवान नरसिंह की शोभायात्रा भी निकाली जाती है
गोरक्षपीठ के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने बताया कि जिले में नाथ परंपरा को आग बढ़ाने और समाजिक समरता को स्थापित करने में गोरखनाथ पीठ अपनी बड़ी भूमिका अदा करता है. यहीं, वजह है कि लोगों का भी इस पीठ से इतना जुड़ाव है कि जिस दिन पीठाधीश्वर होली मनाते हैं. गोरखपुर में होली उसी दिन मनाई जाती है. इसी दिन भगवान नरसिंह की शोभायात्रा भी निकाली जाती है. गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में योगी आदित्यनाथ उसकी अगुवाई करते हैं. इससे पहले गोरखनाथ मंदिर में होली की शुरुआत होलिका दहन के बाद, सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ होली होती है. इस परंपरा में एक विशेष संदेश छिपा होता है. जिसमें भक्त प्रहलाद और भगवान श्री विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह के भक्ति के शक्ति का एहसास होता है. गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर के रूप में योगी आदित्यनाथ द्वारा अपने मंदिर के साधु-संतों को राख से तिलक करने और साधु संतों द्वारा उनका तिलक करते हैं.

कमलनाथ ने आगे बताया कि होलिका दहन की राख से तिलक लगाने के पीछे भक्ति की शक्ति को समाज से जोड़ना है. गोरखनाथ मंदिर में होलिका दहन की राख से होली मनाने की परंपरा बरसों पुरानी है जो अभीतक चली आ रही है. गोरखपुर की होली को वैश्विक फलक पर सिर्फ पहचान ही नहीं मिल रही ये लगातार अपना आकर्षण भी बढ़ा रही है. इस दिन में होली के रंग में लोग सराबोर होते हैं और शाम को फिर वो नाथ मंदिर में आयोजित मिलन समारोह में एक दूसरे से मिलकर गुजिया- मिठाई खाते हैं और गले लगते हैं.

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