रांची:झारखंड की राजधानी रांची संयुक्त बिहार के समय से ही राजनीति का मुख्य केंद्र रही है. देश के पहले लोकसभा चुनाव के समय रांची संसदीय क्षेत्र आज जैसा नहीं था. उस समय रांची तीन लोकसभा क्षेत्रों में बंटा हुआ था. रांची नॉर्थ इस्ट, रांची वेस्ट और पलामू-हजारीबाग-रांची लोकसभा सीट. तब से लेकर अब तक रांची लोकसभा सीट पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सबसे ज्यादा दबदबा रहा है. लेकिन पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस के इस दबदबे को कम कर दिया है और बीजेपी इस सीट को अपने नाम कर रही है.
1952 का लोकसभा चुनाव
1952 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रांची नॉर्थ इस्ट सीट जीती. कांग्रेस पार्टी के अब्दुल इब्राहिम 32.6 फीसदी वोटों के साथ जीते. जबकि सोशलिस्ट पार्टी को 24.01 फीसदी वोट, छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी को 18 फीसदी वोट और मार्क्सवादी ग्रुप के फॉरवर्ड ब्लॉक को 11.6 फीसदी वोट मिले थे. 1952 के लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी ने रांची वेस्ट सीट जीती थी, जिसे जयपाल सिंह ने जीता था. जबकि 1952 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने तीसरी लोकसभा सीट रांची, पलामू हज़ारीबाग़ रांची लोकसभा सीट जीती थी, जिसे जेठन सिंह खेरवार ने जीता था. उन्हें कुल 20.7 फीसदी वोट मिले थे जबकि झारखंड पार्टी को 15.9 और छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी को 11.02 फीसदी वोट मिले थे.
1957 का लोकसभा चुनाव
1957 के लोकसभा चुनाव में एक लोकसभा क्षेत्र रांची से अलग कर दिया गया. अब रांची में दो लोकसभा क्षेत्र थे, रांची इस्ट और रांची वेस्ट. 1957 के लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी के उम्मीदवार एमआर मसानी ने रांची इस्ट से 34.6 प्रतिशत वोट पाकर जीत हासिल की थी, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मोहम्मद इब्राहिम अंसारी को 32.6 प्रतिशत वोट मिले थे. झारखंड पार्टी के जयपाल सिंह एक बार फिर रांची वेस्ट सीट से जीते और उन्हें 60.3 फीसदी वोट मिले. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.2 फीसदी वोट प्राप्त हुआ था.
1962 में रांची दो लोकसभा क्षेत्र
1962 में भी रांची में दो लोकसभा क्षेत्र हुआ करते थे. इधर, रांची वेस्ट से झारखंड पार्टी के जयपाल सिंह जीते, जबकि स्वतंत्र पार्टी के जोसेफ तिग्गा दूसरे स्थान पर रहे. जयपाल सिंह को 48.9 फीसदी वोट मिले, जबकि स्वतंत्र पार्टी के जोसेफ तिग्गा को 24.8 फीसदी वोट मिले, वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार को 19.3 फीसदी वोट मिले थे. 1962 में प्रशांत कुमार घोष 30.4 फीसदी वोट पाकर रांची ईस्ट से जीते, जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस के इब्राहिम अंसारी को 26.9 फीसदी और झारखंड पार्टी के अर्जुन अग्रवाल को 20.7 फीसदी वोट मिले. ये दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे.
1967 में रांची अलग लोकसभा क्षेत्र
1967 में रांची एक अलग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बन गया और 1962 में रांची इस्ट सीट के विजेता प्रशांत कुमार घोष को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पार्टी में शामिल कर लिया. 1967 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत कुमार घोष को 18.3 प्रतिशत वोट मिले जबकि भारतीय जनसंघ को 16 प्रतिशत वोट मिले. इस तरह प्रशांत कुमार घोष ने फिर बाजी मार ली.
1971 में जीती कांग्रेस
1971 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रांची से जीत हासिल की और एक बार फिर प्रशांत कुमार घोष इस सीट से जीते. इस बार प्रशांत कुमार घोष को 41.9 फीसदी वोट मिले. भारतीय जनसंघ के रुद्र प्रताप सारंगी को जहां 33.30 प्रतिशत वोट मिले, वहीं अन्य राजनीतिक दल वोट प्रतिशत को दहाई अंक में भी नहीं ले जा सके.
1971 में दोबारा जीती कांग्रेस
1977 में कांग्रेस ने शिव प्रसाद साहू को रांची लोकसभा सीट से मैदान में उतारा. कांग्रेस ने दो बार के विजेता प्रशांत कुमार घोष की जगह शिव प्रसाद साहू को मैदान में उतारा था और कांग्रेस यह सीट हार गयी. 1977 में भारतीय लोकदल ने रांची लोकसभा सीट से जीत हासिल की. भारतीय लोक दल के रवींद्र वर्मा 45.4 फीसदी वोट के साथ विजयी हुए. जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस के शिव प्रसाद साहू को 24.7 फीसदी वोट मिले थे.
1980 में कांग्रेस ने लगाया जीत का हैट्रिक
1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर रांची लोकसभा सीट पर कब्जा कर लिया और शिवप्रसाद साहू ने इस सीट से जीत हासिल की. इस बार शिव प्रसाद साहू को 37.7 फीसदी वोट मिले, जबकि जनता पार्टी के शिवकुमार सिंह को 24.2 फीसदी वोट मिले.
1984 में चौथी बार जीती कांग्रेस
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर जीत हासिल की. शिव प्रसाद साहू यहां से दोबारा लोकसभा चुनाव जीते. इस बार उन्हें कुल 47.2 फीसदी वोट मिले. जबकि भारतीय जनता पार्टी के राम टहल चौधरी को 16 फीसदी वोट मिले. जनता पार्टी के उम्मीदवार सुबोधकांत सहाय को 15.1 फीसदी वोट मिले थे.
1989 में कांग्रेस को मिली हार
1989 के लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर कांग्रेस पार्टी के हाथ से निकल गई और इस बार इस सीट पर जनता दल के उम्मीदवार सुबोधकांत सहाय ने जीत हासिल की, उन्हें 34.3 फीसदी वोट मिले, जबकि भारतीय जनता पार्टी के राम टहल चौधरी को 31.2 फीसदी, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शिव प्रसाद साहू को 26.7 फीसदी वोट मिले.
1991 में पहली बार जीती बीजेपी
1991 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार रांची सीट जीती. इस बार भारतीय जनता पार्टी के रामटहल चौधरी को 47.6 फीसदी वोट मिले थे, जिससे वे विजयी रहे. जबकि 1989 में इस सीट से जीते सुबोधकांत सहाय को जनता दल ने टिकट नहीं दिया. सुबोध कांत सहाय ने झारखंड पार्टी से चुनाव लड़ा और चौथे स्थान पर रहे. जनता दल ने अवधेश कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था, जिन्हें 22 फीसदी वोट मिले थे.