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पटना में 1 किलोमीटर लंबी है कचौड़ी गली, आप गए हैं क्या, बड़ा ही रोचक है किस्सा - Kachori Gali - KACHORI GALI

Kachori Gali of Patna : पटना सिटी का सैकड़ों साल पुराना इतिहास है. इस गली की पुरानी बसाहट अग्रेजों की भी याद दिलाती है. लेकिन आज भी सभी के जेहन में बस एक ही नाम रचा बसा है, वह है 'कचौड़ी गली'. आखिर इसे कचौड़ी गली क्यों कहते हैं इसको लेकर एक बड़ा ही रोचक किस्सा सामने आता है, पढ़ें पूरी खबर-

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पटना की कचौड़ी गली (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 2, 2024, 10:03 PM IST

Updated : Sep 2, 2024, 10:54 PM IST

कचौड़ी गली के मकानों का हाल (ETV Bharat)

पटना: बिहार के पटना सिटी का इलाका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से काफी समृद्ध और बहुमूल्य इलाका है. इस इलाके में आज भी आपको सैकड़ों वर्ष पुराने बहुमंजिला इमारत मिलेंगे जिसके आर्किटेक्ट आपको हैरान कर देंगे. इन्हीं ऐतिहासिकता के बीच यहां का प्रसिद्ध जगह है कचौड़ी गली. यह गली कहीं 7 फीट चौड़ी है तो कहीं 10 फीट चौड़ी. लगभग 1 किलोमीटर इस लंबी गली में पटना की पुरानी बसाहट है. आज भी इन गलियों में वह लोग रहते हैं जिनके पीढ़ी दर पीढ़ी इसी इलाके में रहते आ रही हैं.

कचौड़ी गली में नहीं मिलती कचौड़ी : कचौड़ी गली की अजीब बात यह है कि इस गली में कहीं कचौड़ी की कोई दुकान नहीं है और न ही कचौड़ी मिलती है. स्थानीय लालू राय बताते हैं कि आजादी से पहले इस गली में कचहरी लगती थी. अंग्रेज पदाधिकारी लोगों की फरियादों का निपटारा करते थे. कचहरी के सभी काम यही होते थे और उन्होंने कचहरी के मकान को दिखाया जो अब जर्जर हालत में है. उन्होंने बताया कि आजादी के बाद अंग्रेज चले गए और उसके बाद कचहरी का अपभ्रंश कचौड़ी बन गया. लोग कचहरी के बजाय कचौड़ी गली बोलने लगे. वह जब से होश संभाले हैं इसका नाम कचौड़ी गली ही देख रहे हैं, जबकि उनके पूर्वजों ने बताया है कि यह कचहरी गली हुआ करती थी.

कचौड़ी गली के मकानों का हाल (ETV Bharat)

हरिवंश राय बच्चन भी आते थे इस गली में : लालू राय ने बताया कि इस गली में अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता महान कवि हरिवंश राय बच्चन भी आते जाते थे. यहां एक बंगाली होम्योपैथिक चिकित्सक हुआ करते थे जिनके हरिवंश राय बच्चन मित्र थे और अक्सर उनका आना जाना होता था. यह बातें भी उन्हें उनके पिता ने बताई है.

''इस गली में बहुत सारे पुराने मकान हैं जो अब खंडहर हो रहे हैं और यह मकान 200 वर्ष से पुराने हैं. ऐसा ही एक मकान को उन्होंने दिखाते हुए बताया कि पूरी तरीके से पत्थर के पिलर और पत्थरों से बना हुआ है. यह मकान संगीत सदन हुआ करता था जहां लोगों को संगीत सिखाई जाती थी.''-लालू राय, स्थानीय

नहीं बदली गली: बुजुर्ग जीवन राय बताते हैं कि जब से हो संभाले हैं इस गली में बहुत कुछ बदलता हुआ नहीं देखे. बस यही देखे हैं कि जो पुराने मकान थे वह खंडहर हो रहे हैं और बाहर शहर विकास कर रहा है. आज भी इन मकानों में लोग रहते हैं और यह ठंडक प्रदान करता है. इन मकान की दीवार 40 इंच मोटी होती है. उन्होंने बताया कि जब से होश संभाले हैं तब से इसका नाम कचौड़ी गली ही सुना है और एड्रेस भी कचौड़ी गली लिखा जाता है, लेकिन उनके पुरखों ने बताया कि यहां कचहरी लगती थी और कभी इसका नाम कचहरी गाली हुआ करती थी.

खंडहर हुई हवेली (ETV Bharat)

राधे कृष्ण मंदिर ट्रस्ट की है भूमि : स्थानीय राजू शर्मा बताते हैं कि यह जितने भी मकान है चाहे संगीत सदन का मकान हो या तमाम वह मकान जिसमें कचहरी चलती थी और अन्य भवन जिसमें अंग्रेज अधिकारी रहते थे, सब उन्हीं लोगों के हैं. यह सभी जमीन राधे कृष्ण मंदिर ट्रस्ट की है. उन लोगों के परदादा और उनके भी पूर्वज यहां रहते आ रहे हैं.

''अभी भी जिन मकानों में लोग रहते हैं वह ठीक-ठाक हैं. पत्थर से बना संगीत सदन की नक्काशी अपने आप में इतनी खूबसूरत है की मन मोह लेती है, लेकिन इसका संरक्षण नहीं हुआ. इस मकान में एक छोटा कुआं है जिसका वाटर लेवल पास के गंगा नदी से मैच करता है. कुआं में नीचे जाने का रास्ता तक है.''-राजू शर्मा, स्थानीय

कचौड़ी गली का प्राचीन कुआं (ETV Bharat)
संगीत सदन में पीने के पानी का है छोटा कुआं : पत्थर से बने दो मंजिली संगीत सदन की नक्काशी बेहद शानदार है. मकान की छत बीच से ढह गई है, जो सुर्खी और चूना पत्थर से तैयार की गई थी. इसके बावजूद दीवारों पर जो सुंदर रोशनदान की नक्काशी है, वह आकर्षित करती है. इस मकान के उत्तर पूर्व कोण पर आधी मीटर के रेडियस का एक कुआं है. स्थानीय छोटे बच्चे इस मकान के भीतर खेलते हैं. ऐसे ही खेल रहे एक बच्चे रंजन कुमार ने बताया कि इस कुआं में हमेशा पानी रहता है. लोग बताते हैं कि जब यहां संगीत सिखायी जाती थी तो सीखने वालों को शुद्ध पानी मिले इसके लिए कुआं बनाया गया था. पीछे से मकान के दूसरे तले पर जाने का रास्ता है.

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Last Updated : Sep 2, 2024, 10:54 PM IST

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