उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

मसूरी से लोहे के पहिए वाले रोलर स्केट्स से किया था दिल्ली का सफर, गोपाल भारद्वाज ने शेयर किया अनुभव

Mussoorie Historian Gopal Bhardwaj on Roller Skating मशहूर के जाने माने इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने साल 1975 में अपने चार दोस्तों के साथ रोलर स्केटिंग से मसूरी से दिल्ली तक का करीब 320 किलोमीटर के सफर 5 दिनों के भीतर तय किया था. वो इस दिन को खास लोगों के साथ मनाते हैं. उस दौरान उन्होंने लोहे के पहिए वाले स्केट्स से सफर किया था. वहीं, गोपाल भारद्वाज ने सरकार पर स्केटरों की उपेक्षा का आरोप लगाया है.

Mussoorie Historian Gopal Bhardwaj
इतिहासकार गोपाल भारद्वाज

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 19, 2024, 1:23 PM IST

मसूरी:इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने साल 1975 में अपने दोस्तों के साथ मसूरी से दिल्ली तक के रोलर स्केटिंग सफर को याद किया. उन्होंने 320 किलोमीटर के इस सफर को 5 दिनों के अंदर तय किया था. ऐसे में वो इस दिन को हमेशा कुछ खास लोगों के साथ मनाते हैं. रविवार को भी उन्होंने गढ़वाल टैरेस पर रोलर स्केटिंग कर अपने पुराने सफर को याद किया. वहीं, गोपाल भारद्वाज ने सरकार पर स्केटरों की उपेक्षा का आरोप लगाया.

मसूरी के इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि साल 1975 को वो अपने चार दोस्तों के साथ लोहे से बनी रोलर स्केट्स से मसूरी से दिल्ली तक का सफर किया था. वो करीब 320 किलोमीटर की दूरी तय कर पांचवें दिन दिल्ली पहुंचे थे. रोलर स्केट्स से उन्होंने पहली बार दिल्ली में प्रवेश किया था. गोपाल भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली पहुंचने पर उनका दिल्ली पुलिस और रोलर स्केटिंग फेडरेशन के लोगों ने भव्य स्वागत किया था.

पचास रुपए का मिला था इनाम: वहीं, कोको कोला कंपनी ने पचास रुपए का प्रत्येक प्रतिभागी को इनाम भी दिया था. इसके बाद सभी का दूरदर्शन में इंटरव्यू भी हुआ था. जो उनके लिए काफी यादगार रहा.

साल 1975 में मसूरी से दिल्ली के लिए हुए थे रवाना: उन्होंने बताया कि वर्तमान में अत्यंत आधुनिक स्केट्स उपलब्ध हैं, लेकिन बीती 70 के दशक में ऐसी सुविधा नहीं थी. तब खिलाड़ी लोहे के पहिए वाले स्केट्स का इस्तेमाल करते थे. साल 1975 में मसूरी के 5 युवा स्केटर्स ने मसूरी से दिल्ली तक की 320 किमी की दूरी रोलर स्केटिंग करते हुए तय करने की ठानी.

स्केटिंग में 3 बार के नेशनल चैंपियन रहे मसूरी के अशोक पाल सिंह के दिशा निर्देशन में 14 फरवरी 1975 को संगारा सिंह, आनंद मिश्रा, गुरुदर्शन सिंह जायसवाल, गुरुचरण सिंह होरा और गोपाल भारद्वाज मसूरी से दिल्ली की रोलर स्केटिंग यात्रा पर निकले. उनकी यह यात्रा देहरादून, रुड़की, मुजफ्फरनगर और मेरठ होते हुए 18 फरवरी 1975 को राजधानी दिल्ली पहुंचकर संपन्न हुई थी.

दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल डॉ. कृष्ण चंद्र ने किया था स्वागत:इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि तब यूरोपीय देशों में ही इस प्रकार के इवेंट हुआ करते थे. एशिया में सड़क से इतनी लंबी दूरी की स्केटिंग की यह पहली यात्रा थी. उन्होंने बताया कि दिल्ली पहुंचने पर वहां के तत्कालीन उप राज्यपाल डॉ. कृष्ण चंद्र खुद पांचों स्केटर्स के स्वागत के लिए मौजूद थे.

लोहे के पहिए वाले स्केट्स से होती थी परेशानी: उन दिनों लोहे के पहिए वाले स्केट्स होते थे. हर एक किमी स्केटिंग करने के बाद स्केट्स के पहिए बदलने पड़ते थे. कई बार उनके और उनके साथियों ने तीन पहिए पर कई किलोमीटर तक यात्रा जारी रखी. भारद्वाज ने बताया कि मसूरी से स्केट्स पर यात्रा शुरू करने के बाद जब वो देहरादून पहुंचे तो राजपुर रोड पर विजय लक्ष्मी पंडित ने उनका हौसला अफजाई किया था.

इसके बाद सभी लोग आगे के सफर के लिए रवाना हुए. पहले दिन देहरादून, दूसरे दिन रुड़की, तीसरे दिन मुजफ्फरनगर और चौथे दिन मेरठ में पड़ाव डाला. पांचवें दिन दिल्ली पहुंचने पर उनका स्वागत हुआ. गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि इस अभियान से उत्साहित होकर टीम के सदस्यों ने मसूरी से अमृतसर की 490 किमी की दूरी रोलर स्केट्स से तय करने की ठानी.

मसूरी से अमृतसर तक की थी रोलर स्केटिंग:9 दिसंबर 1975 को मसूरी के 10 स्केटर्स सड़क मार्ग से अमृतसर के लिए रवाना हुए. 490 किमी की दूरी तय कर सभी लोग 17 दिसंबर 1975 को अमृतसर पहुंचे थे. इस टीम में आनंद मिश्रा, जसकिरण सिंह, सूरत सिंह रावत, अजय मार्क, संगारा सिंह, गुरुदर्शन सिंह, गुरचरण सिंह होरा, लखबीर सिंह, जसविंदर सिंह और वो खुद शामिल थे.

सरकार से नहीं मिली कोई मदद:इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि साल 1975 में रोलर स्केट्स से यात्रा करने वाले आनंद मिश्रा, गुरुदर्शन सिंह जायसवाल, गुरुचरण सिंह होरा इस दुनिया में नहीं रहे. जबकि संगारा सिंह और वो अभी जीवित हैं, लेकिन आज तक किसी भी स्केटर्स को सरकार की ओर से न तो कोई सम्मान मिला और न मदद ही.

मसूरी के स्केटिंग रिंक हॉल था खास: इसी का नतीजा है कि मसूरी में रोलर स्केटिंग और रोलर हॉकी दम तोड़ रही है. उन्होंने कहा कि रोलर स्केटिंग और रोलर हॉकी में पहाड़ों की रानी मसूरी का स्वर्णिम इतिहास रहा है. साल 1880 से लेकर 1970 तक मसूरी के स्केटिंग रिंक हॉल को एशिया के सबसे पुराने और बड़े स्केटिंग रिंक होने का गौरव हासिल था.

रोलर स्केटिंग प्रतियोगिता में पहुंचे थे देश विदेश के स्केटर: 20वीं सदी में साल 1981 से साल 1990 के बीच रोलर स्केटिंग-रोलर हॉकी और मसूरी एक दूसरे के पूरक हुआ करते थे. इस अवधि में अक्टूबर का महीना मसूरी के लिए काफी अहम हुआ करता था. यहां सालाना होने वाली ऑल इंडिया रोलर स्केटिंग प्रतियोगिता में देशभर के जाने-माने स्केटर जुटते थे.

ये भी पढ़ें-

ABOUT THE AUTHOR

...view details