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'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना', 9 सालों से रमजान के महीने में रोजा रखता है हिंदू युवक - Ramadan In Gaya - RAMADAN IN GAYA

Ramadan 2024: गया के हिंदू युवक अमरदीप कुमार सिन्हा बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं. यह रमजान के पूरे महीने रोजा रखते हैं. इन्हें हर धर्म में आस्था है और देश-दुनिया के लिए दुआ भी करते हैं. 9 साल पहले जब संकट में थे, तो अपने दोस्त के कहने पर उन्होंने रोजा रखना शुरू किया था, तब से यह सिलसिला जारी है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

गया के हिंदू युवक अमरदीप कुमार सिन्हा
गया के हिंदू युवक अमरदीप कुमार सिन्हा

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 1, 2024, 2:00 PM IST

हिंदू युवक रखता है रोजा

गया: बिहार के गया में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बन गए हैं अमरदीप कुमार सिन्हा, यह रमजान के पावन महीने के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं. रमजान आते ही इन्हें खुशी होती है और इस पावन महीने के सभी दिन रोजा रखते हैं. इस तरह अमरदीप कुमार सिन्हा एक बड़ी मिसाल भी बने गए हैं, जो हर धर्म में अपनी आस्था रखते हैं.

गया में कौमी एकता की मिसाल

9 सालों से नहीं रुका सिलसिला: पिछले नौ सालों से रमजान के महीने में रोजा रखने का अमरदीप का सिलसिला जारी है. इस हिंदू युवक की आस्था से रमजान का पर्व जुड़ा हुआ है. उनके सारे संकट इस महीने में दूर हो जाते हैं, ऐसा इन्हें विश्वास है. एक बार जो आस्था टिकी, तो पिछले 9 सालों से नहीं रुकी है. इस तरह बिहार का यह हिंदू युवक पिछले कई सालों से रमजान का रोजा रख रहा है और काफी चर्चा में है.

शब ए कदर की रात जगते हैं और देते हैं ईफतार पार्टी:अमरदीप कुमार सिन्हा रमजान के पूरे महीने रोजा रखते हैं. वहीं पूरे नियम और आस्था के साथ इस पर्व को पूरा करते हैं. वे शब एक कदर की रात को जगते भी है और इफ्तार पार्टी भी देते हैं. इफ्तार पार्टी में मुस्लिम भाई भी शामिल होते हैं. सुबह उठकर सेहरी करने से लेकर रोजा खोलने के नियम पूरी आस्था के साथ पूरा करते हैं. इस दौरान वे दुआ भी मांगते हैं. अमरदीप कुमार सिन्हा गया के नई गोदाम महारानी रोड पहसी के रहने वाले हैं.

गया में कौमी एकता की मिसाल

"यह बताते हैं, कि कुछ लोगों का अलग-अलग नजरिया है, लेकिन मेरा मानना है कि मैं हिंदू हूं लेकिन सोच सभी धर्म के लिए एक समान होनी चाहिए. यही वजह है कि मैं अपने हिंदू धर्म के पर्व के अलावा रमजान का पर्व भी मनाता हैूं और रोजा रखता हूं. शुरुआत में जब संकट में थे तो रोजा रखा था, सारे कष्ट दूर हो गए तो आस्था बढ़ी और फिर लगातार रोजा रखना शुरू किया और पिछले 9 साल से रोजा रख रहा हूं."-अमरदीप कुमार सिन्हा, रोजा रखने वाला हिंदू युवक

कैसे हुई शुरुआत: इस संबंध में अमरदीप बताते हैं कि उन्हें हर धर्म में विश्वास है. एक बार वह काफी संकट में थे, तो इस बीच उनके एक दोस्त ने रमजान के महीने में रोजा रखने की बात कही. अपने दोस्त के कहने पर रमजान के महीने के बारे में जाना और फिर रोजा रखना शुरू कर दिया. उनकी परेशानी खत्म हुई और इसके बाद वह लगातार पिछले 9 सालों से रोजा रख रहे हैं. रोजा खोलते समय अल्लाह से दुआ भी मांगते हैं. साथ ही घर परिवार, समाज व देश- दुनिया की बेहतरी के लिए भी दुआ मांगते हैं.

गया में कौमी एकता की मिसाल

इफ्तार पार्टी में शामिल होते हैं रोजेदार: वहीं उनकी इफ्तार पार्टी में शामिल हुए मोहम्मद सज्जाद बताते हैं कि "वह इफ्तार पार्टी में आए हैं. बिहार के गया के हिंदू युवक अमरदीप कुमार सिन्हा रोजा रखते हैं, वह हमारे मित्र भी है. उन्होंने इफ्तार पार्टी दी तो उसमें शामिल हुआ, काफी अच्छा लगा. मेरा भी मानना है कि हम सब एक हैं. हमें सभी धर्म को एक नजरिया से देखना चाहिए, कोई भी अलग नहीं है."

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