शिमला:एक दिन के लिए भी यदि कोई विधायक बन जाता है तो पेंशन का हकदार हो जाता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में पूर्व विधायकों के लिए पेंशन को लेकर संशोधन विधेयक लाए जाने की तैयारी है. यदि ये बिल विधानसभा में पेश होकर पारित होता है तो पहली बार विधायक बनकर आए चैतन्य शर्मा व देवेंद्र कुमार भुट्टो को बड़ा नुकसान होगा.
ये दोनों अब विधायक नहीं हैं. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद इन्हें कांग्रेस ने निष्कासित कर दिया था. बाद में देवेंद्र भुट्टो व चैतन्य शर्मा उपचुनाव हार गए. दरअसल, हिमाचल विधानसभा के मानसून सेशन में सरकार की तरफ से पूर्व विधायकों की पेंशन को लेकर एक संशोधन विधेयक लाया जाना प्रस्तावित है.
इसमें एक संशोधन कर ये सुनिश्चित किया जाएगा कि कम से कम एक साल विधायक के तौर पर कार्यकाल की अवधि हो. वहीं, देवेंद्र भुट्टो व चैतन्य शर्मा इस संशोधन विधेयक के पास होने के बाद सबसे अधिक घाटे में रहेंगे. उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी. वहीं, सुधीर शर्मा, आशीष शर्मा व इंद्रदत्त लखनपाल चुनाव जीत गए हैं.
बाकी होशियार सिंह, केएल ठाकुर को भी एक टर्म की पेंशन का नुकसान होगा. साधारण शब्दों में कहें तो कांग्रेस से निष्कासित छह विधायकों और तीन निर्दलीयों की एक टर्म की पेंशन पर खतरा है. इनमें से चैतन्य शर्मा व देवेंद्र भुट्टो चूंकि पहली बार विधायक बने थे, लिहाजा वे पेंशन के हक से वंचित हो जाएंगे. यदि विधेयक पास हो गया तो चैतन्य शर्मा ने गगरेट से चुनाव लड़ा था और देवेंद्र भुट्टो ने कुटलैहड़ से वे दोनों पहली बार विधायक बने थे, लेकिन राज्यसभा चुनाव वाले पचड़े के कारण बाद में हुए उपचुनाव में वे हार गए थे.
90 हजार से अधिक है पेंशन
एक बार विधायक बनने के बाद 90 हजार रुपये से अधिक मासिक पेंशन तय हो जाती है. पूर्व विधायकों को 90 हजार रुपये से अधिक पेंशन मिलती है. राज्यसभा चुनाव के बाद अयोग्य करार हुए कांग्रेस के छह विधायकों का वेतन भी बंद कर दिया गया था. उनमें से सुधीर शर्मा व इंद्र दत्त लखनपाल जीत कर आ गए हैं तो उनका वेतन बहाल हो गया.