शिमला: कर्ज के मामले में हिमाचल एक लाख करोड़ वाले राज्यों की श्रेणी में शामिल होने वाला है. पहाड़ी राज्यों में हिमाचल प्रदेश कर्ज के मामले में टॉप पर है. राज्य पर अभी 87 हजार करोड़ रुपए के करीब कर्ज है. इसके अलावा नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक की नए वेतन आयोग के एरियर व डीए की देनदारी है. उस देनदारी को फिलहाल अलग रखें तो भी 31 मार्च 2025 तक हिमाचल प्रदेश पर 94992 करोड़ रुपए के लोन का भार हो जाएगा. इस वित्त वर्ष की लोन लिमिट (दिसंबर 2024) तक 6200 करोड़ रुपए है. ये लिमिट अप्रैल 2024 से दिसंबर 2024 तक यानी नौ माह की है.
दिसंबर के बाद आखिरी तिमाही के लिए केंद्र सरकार अलग से लिमिट सेंक्शन करेगी. इस तरह अनुमान है कि राज्य पर मार्च 2025 तक 95 हजार करोड़ रुपए के करीब कर्ज हो जाएगा. इसी रफ्तार से कर्ज लेना पड़ा तो अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में ही हिमाचल एक लाख करोड़ रुपए लोन वाले राज्यों की लिस्ट में आ जाएगा. इस वित्त वर्ष में अभी तक हिमाचल सरकार 1700 करोड़ रुपए लोन ले चुकी है.
उत्तराखंड से आगे हिमाचल
आलम ये है कि हिमाचल प्रदेश कर्ज के बोझ को लेकर अपने पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से भी आगे है. अगले वित्तीय साल यानी 2025-26 की पहली तिमाही में ही हिमाचल प्रदेश पर ये बोझ एक लाख करोड़ रुपए होने के पक्के आसार हैं. स्थिति इतनी विकट है कि कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ा है. इस बात को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद स्वीकार कर चुके हैं. यहां लोकसभा में इस संदर्भ में फरवरी 2024 को पूछे गए अतारांकित सवाल में ये जानकारी का हवाला दें तो उसके अनुसार नौ पहाड़ी राज्यों, जिसमें नार्थ ईस्ट के राज्य भी शामिल हैं, उनमें हिमाचल पर सबसे अधिक कर्ज है. दूसरे नंबर पर उत्तराखंड है. उत्तराखंड पर 89466 करोड़ रुपए (मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक) का कर्ज होगा. इस सूची में जो राज्य शामिल हैं, उनमें त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम व मिजोरम का नाम आता है. दिलचस्प बात ये है कि जितना कर्ज हिमाचल व उत्तराखंड पर है, अन्य सात राज्यों पर कुल मिलाकर भी उससे कम लोन है.
पहाड़ी राज्यों पर टूटता कर्ज का 'पहाड़' | |
राज्य | बकाया ऋण (करोड़ में) (2024-25 तक) |
1 हिमाचल प्रदेश | 94992.2 |
2 उत्तराखण्ड | 89466 |
3 त्रिपुरा | 26505.8 |
4 अरुणाचल प्रदेश | 21654.2 |
5 मेघालय | 20029.9 |
6 मणिपुर | 19245.8 |
7 नागालैंड | 18165.8 |
8 सिक्किम | 15529.5 |
9 मिजोरम | 14039.3 |
RBI और केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में दिए आंकड़े |
हिमाचल के पास नहीं कोई जादू की छड़ी
कर्ज को लेकर विगत डेढ़ दशक में हालात काबू से बाहर हुए हैं. हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन न के बराबर हैं. हिमाचल में राजस्व के साधनों में पर्यटन, कृषि, शराब की बिक्री ही प्रमुख हैं. कैग की रिपोर्ट में हर बार हिमाचल के लिए चेतावनी होती है कि यदि स्थितियां न सुधरी तो राज्य दिवालिया हो जाएगा. कैग ने हिमाचल को एग्रीकल्चर सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने का सुझाव दिया था. आर्थिक सहायता के लिए हिमाचल प्रदेश अधिकांशत केंद्र पर निर्भर है. विकास के लिए तो हिमाचल को केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं व बाहरी वित्त पोषित योजनाओं से सहारा मिलता है. हालांकि हिमाचल की स्थिति पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों से बेहतर है.
कर्ज में डूबे छोटे राज्य | |
राज्य | बकाया ऋण (करोड़ में) (2024-25 तक) |
1 पंजाब | 3,51,130.2 |
2 हरियाणा | 3,36,253.0 |
3 असम | 1,50,900.4 |
4 झारखंड | 1,31,455.6 |
5 छत्तीसगढ़ | 1,22,164.1 |
6 ओडिशा | 1,20,986.9 |
7 गोवा | 34758.4 |
RBI और केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में दिए आंकड़े |