शिमला:हिमाचल में लाखों बागवानों के लिए आज से सेब सहित अन्य प्रजातियों के पौधे उपलब्ध होंगे. बागवान बारिश और बर्फबारी होते ही समय पर पौधे लगा सकें. इसके लिए प्रदेश में 16 दिसंबर से सेब और अन्य फलों के नए पौधे मिलने शुरू हो जाएंगे. बागवानी विश्वविद्यालय नौणी ये पौधे बागवानों के लिए उपलब्ध कराने जा है.
ये पौधे नौणी और मशोबरा सहित अन्य रिसर्च केंद्रों में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे. इसके लिए विश्वविद्यालय और रिसर्च केंद्रों ने तैयारियां पूरी कर ली है. बागवानी विश्वविद्यालय पौधों का रेट भी तय कर दिया है. नौणी सहित रिसर्च केंद्रों में सेब के ए ग्रेड के पौधे 200 रुपए से 500 रुपए तक उपलब्ध होंगे. इसी तरह से बागवानों को बी ग्रेड के सेब के पौधे भी रखे जाएंगे. जिसकी कीमत 150 से 400 रुपए तय की गई है. इसी तरह से सी ग्रेड के पौधे का रेट 100 से 300 रुपए प्रति पौधा की दर से मिलेगा.
इसके अलावा खुमानी, प्लम, आडू व बादाम के ए ग्रेड के पौधे 125 रुपए, बी ग्रेड 100 और सी ग्रेड के पौधे 80 रुपए में, अखरोट व पीकान अखरोट 150 से 250, किवी व परसीमन 100 से 200 रुपए में खरीद सकेंगे. इसी तरह से स्ट्रॉबेरी का पौधा चार रुपए और अनार का पौधा 50 रुपए में मिलेगा.
'पहले आओ और पहले पाओ'
विश्वविद्यालय के रिसर्च केंद्रों में बागवानों को पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर पौधे दिए जाएंगे. ये पौधे नौणी विश्वविद्यालय रिसर्च केंद्रों में विशेषज्ञों की मदद से खुद तैयार किए गए हैं. ऐसे में विश्विद्यालयों के पौधों की सौ फीसदी विश्वसनीयता है. जिसको देखते हुए इन पौधों को सबसे अधिक मांग रहती है. ऐसे में बागवानों को 'पहले आओ और पहले पाओ' के आधार पर पौधे दिए जाते हैं.
इस बार विश्वविद्यालय की ओर से दो लाख से अधिक पौधे बिक्री के लिए तैयार किए गए हैं. क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा के सहायक निदेशक डॉ. दिनेश ठाकुर ने कहा, "सोमवार से सेब व अन्य फलों के पौधों की बिक्री शुरू होगी. विश्वविद्यालय की तरफ से बागवानों रेड रॉट, डार्क बैरन गाला, अर्ली रेड वन, स्परलैट स्पर टू जेड बन, रॉयलए, टैक्स गाला, ग्रेनी स्मिथ, गाला व अन्य सेब की वैरायटी के पौधे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं".
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा,"बागवानों को सेब, कीवी, अनार, खुमानी, आडू, नेक्टरीन, चेरी अखरोट, नाशपाती और प्लम की किस्में उपलब्ध करवाई जाएंगी. नौणी सहित विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान स्टेशनों इन पौधों बिक्री होगी".